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यूपी के फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 1 महीने में 49 बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत

यूपी के फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 1 महीने में  49 बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत
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Farrukhabad: 49 children died in Ram Manohar Lohia Rajkiya Chikitsalay in a month, allegedly due to oxygen&medicines shortage, probe ordered

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में इस बार ऑक्सीजन का कहर गोरखपुर ही सूबे के कई अन्य जिलों में भी फैला. जिससे कई मासूमों की जान भी चली गई. अब बड़ी खबर सूबे के जिले फर्रुखाबाद से आ रही है जहाँ बीते एक महीने में ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के चलते 49 बच्चों ने दम तोड़ दिया.


फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 20 जुलाई से लेकर 21 अगस्त तक 49 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया था, जिसमें से 19 बच्चों की मौत प्रसव के दौरान और 30 बच्चों की मौत न्यू बोर्न केयर यूनिट में इलाज के दौरान हुई थी. इस मामले में जिला प्रशासन ने पैनल से जांच कराई थी, जिसमें सिटी मजिस्ट्रेट एसडीएम व तहसीलदार ने संयुक्त जांच की.


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ऑक्सीजन के खेल में फंसी मासूमों की जिंदगी

पूरे सूबे में आखिर इस सरकार में क्या खेल खेला जा रहा है समझ में नहीं आरहा है. जब रोज ऑक्सीजन और दवाओं का रोना रोकर मासूम बच्चों की जान जा रही है. प्रदेश सरकार इस मामले को तमाशबीन बनी देख रही है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्दार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त में बच्चों की मौत होती रहती है. लेकिन अब तो सितंबर लग गया अब क्यों हो रही है? जिस तरह से यूपी की स्वास्थ्य विभाग को मजाक बना दिया वो वास्तव में काबिले तारीफ़ है. जब तक मनचाही कंपनी नहीं मिलेगा तब तक ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका नहीं मिलेगा.













क्या प्रदेश उलझ गया स्वास्थ्य समस्या से

प्रदेश में अगर आपके किसी नजदीकी की हालत खराब होती है तो आप ऑक्सीजन लेकर जाएँ, अन्यथा अपने नजदीकी की जान से हाथ धो बैठेंगे. आखिर इस सरकार में जिम्मेदारी से लोग बचना क्यों चाहते है. बिना जिम्मेदारी के प्रदेश चलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.



मिली जानकारी के मुताबिक फर्रुखाबाद जिले के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ऑक्सीजन और दवाओं के आभाव के चलते एक महीने के अंदर 49 बच्चों ने दम तोड़ दिया. ये घटना एक फर्रुखाबाद की नहीं है. गोरखपुर , वनारस , इलाहाबाद समेत कई जिलों में ये समस्या बनी हुई है. सरकार इस समस्या के निदान को इतना हल्के से क्यों ले रही है. इस पर सख्त कब होगी सरकार.

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