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आपको बता दें कि हाल में पेटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत की गई है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक ग्राहकों को 4 फीसदी ब्याज दे रहा है.
नई दिल्ली: पेटीएम पेमेंट बैंक पूरे देश में एक लाख 'पेटीएम का एटीएम' बैंकिंग आउटलेट्स खोलने जा रहा है. इसका मकसद देशभर में बैंकिंग सर्विसेज का विस्तार करना है. ग्राहकों की केवाईसी (नो योर कस्टमर) करने के लिए कंपनी को अधिक कर्मचारियों की जरूरत है.
इसे पूरा करने के लिए पेटीएम 10,000 लोगों को नौकरी देने की तैयारी है. आपको बता दें कि हाल में पेटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत की गई है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक ग्राहकों को 4 फीसदी ब्याज दे रहा है.
कंपनी ऑफलाइन डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क बढ़ाने के लिए अगले तीन सालों में 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेगी. इसके लिए भरोसेमंद स्थानीय साझेदारों की मदद से नगदी लेन-देन के केंद्र स्थापित किए जाएंगे.
पेटीएम पेमेंट्स बैंक की एमडी रेणू सत्ती ने कहा, 'पेटीएम का एटीएम बैंकिंग आउटलेट हर एक भारतीय के लिए बैंकिंग सुविधाओं की सुलभता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है.' उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि अति स्थानीय स्तर का बैंकिंग मॉडल अब तक बैंकिंग सर्विसेज से दूर रहे लाखों लोगों को अच्छी बैंकिंग सर्विसेज दे पाने में अहम भूमिका निभाएगा.
पेटीएम खुद को पेमेंट्स बैंक में बदलने में लगा है. कंपनी ने तीन साल के अंदर 50 करोड़ फुल-केवाईसी कस्टमर्स तक पहुंचने का टार्गेट रखा है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सीईओ रेणु सत्ती ने बताया कि हमारे पास पहले से ही 10,000 एजेंट हैं, जो केवाईसी नॉर्म्स पूरा करने में कस्टमर्स की मदद कर रहे हैं.
इसके अलावा फिजिकल केवाईसी की क्षमता बढ़ाने के लिए हमने दो महीनों में 10,000 और एजेंट्स हायर करने की योजना है. उन्होंने कहा एक लाख बैंकिंग आउटलेट्स भी खोलेंगे, जहां कस्टमर्स बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन करा सकेंगे और दूसरी बैंकिंग फसिलटी हासिल कर सकेंगे.
पेटीएम के व्यावसायिक प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे और बचत खाता खोलने, पैसा जमा करने या निकालने जैसी सुविधाएं देगा. पहले चरण में पेटीएम दिल्ली एनसीआर, लखनऊ, कानपूर, इलाहाबाद,
17 करोड़ सेविंग्स और वॉलिट अकाउंट्स के साथ पेटीएम पेमेंट बैंक बैंकिंग इंडस्ट्री में नया बिजनस मॉडल तैयार करना चाह रहा है जिसके जरिए फाइनैंशल सर्विसेज से अछूते या अयोग्य देशभर के 5 करोड़ लोगों तक पहुचंने का लक्ष्य है.
मई 2017 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ब्रांच ऑथराइजेशन पॉलिसी को उदार बना दिया और बैंक बोर्ड्स के भूमिका नए निर्देशों के पालन सुनिश्चित करवाने तक विस्तृत कर दी गई.
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