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दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों के समायोजन के समर्थन में कांग्रेस सांसदों ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में चल रहे पिछले 9 दिनों से चल रहे आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस के सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत लगभग 4500 हजार तदर्थ शिक्षकों समायोजन हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है.
जिसमें मांग की है की शिक्षा मंत्रालय समायोजन हेतु अध्यादेश लेकर आए ताकि तुरंत प्रभाव से लंबे समय से मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे अध्यापकों को राहत दी जा सके. इस पत्र में कांग्रेस सांसदों ने यह भी लिखा है कि अध्यापकों की मांग जायज है क्योंकि यह सभी एक प्रक्रिया के तहत नियुक्त हुए हैं और सभी उच्च योग्यता प्राप्त अनुभवी शिक्षक है. इन तदर्थ अध्यापकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा और गैर शैक्षणिक कार्यों में योगदान देते हुए गुणवत्ता के मानदंड निर्धारित किए हैं.
पत्र में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि ऐसा फिलहाल भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रहने के दौरान सैकड़ों शिक्षकों को नियमित करने का कार्य किया है. दिल्ली विश्वविद्यालय में भी 1977 और देश के अन्य राज्यों में जैसे राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश , हरियाणा मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों में ऐसा पहले भी किया जा चुका है. कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की समस्याओं को समझते हुए तदर्थ अध्यापकों के समायोजन के मुद्दे को घोषणा पत्र में रखा था और उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार में आते ही वह अध्यादेश लाकर इन सभी को नियमित किया जाएगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ अनिल मीणा एवं राजेश पूनिया ने बताया कि तदर्थ अध्यापक के नियमित होने का ऐतिहासिक कदम दिल्ली विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता में और अधिक सुधार लाएगा. क्योंकि रोजगार सुरक्षा होने की वजह से मानसिक तनाव मुक्त होकर वह शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक गतिविधियों में विश्वास एवं ताकत के साथ योगदान दे पाएगा.
डॉ. अनिल मीणा प्रभारी दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस असिस्टेंट प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय