Begin typing your search...

मैं आंबेडकर का भक्त हूं, बाबा साहेब को सिर्फ दलितों का मसीहा बोलकर अपमानित न करें : मोदी

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • Print
  • koo
PM Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का विज्ञान भवन में शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं आंबेडकर का भक्त हूं बाबा साहेब को सिर्फ दलितों का मसीहा बोलकर अपमानित न करें।

मार्टिल लूथर किंग से की बाबा साहेब की तुलना :
मोदी ने डॉ आंबेडकर की तुलना जूनियर मार्टिल लूथर किंग से की और कहा कि हम बाबा साहब अंबेडकर को सिर्फ दलितों का मसीहा बोलकर अपमानित न करें। उन्हें सीमित न करें। हर पीढ़ी, दबे कुचले के मसीहा थे वह। उनको भारतीय की सीमाओं में बांधना ठीक नहीं। वह हर पीडि़त की आवाज थे। विश्व जैसे मार्टिन लूथर किंग को जानता है हम उसी तरह बाबा साहेब को देखते हैं।

14 अप्रैल 2018 को इस स्मारक का उद्घाटन करने आऊंगा : PM मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अंबेडकर मेमोरियल के लिए साठ साल इंतजार करना पड़ा। हो सकता है कि ये मेरे ही भाग्य में लिखा होगा। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी ने इस मेमोरियल के लिए पहल की, लेकिन उनके बाद जिनकी सरकार आई, उनके दिल में अंबेडकर नहीं रहे। मुझे उम्मीद है कि अप्रैल 2018 तक स्मारक का काम पूरा हो जाएगा। अंबेडकर का स्मारक हमारे लिए प्रेरणा स्थल है। उन्होंने कहा, 'मैं 14 अप्रैल 2018 को इस स्मारक का उद्घाटन करने आऊंगा।'

मोदी ने कहा- 'मुझे याद है कि जब वापजेयी जी की सरकार बनी तो चारों तरफ हो-हल्ला मचा कि ये भाजपा वाले आ गए हैं, अब आपका आरक्षण खत्म होगा। 'एमपी, गुजरात में कई सालों से बीजेपी राज कर रही है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा में हैं। हमें दो तिहाई बहुमत से अवसर मिला। लेकिन कभी भी दलित, पीड़ित के आरक्षण को खरोंच नहीं आने दी। फिर भी झूठ बोला जाता है।

मोदी ने कहा, जो मानवता में विश्वास करते हैं उन्हें उन पर विश्वास करना चाहिए। बाबा साहेब ने सामाजिक एकीकरण का काम बाबा साहेब अंबेडकर ने किया। लोग इतिहास को अपने अपने हिसाब से बदलते रहे हैं। जब पार्लियामेंट में कानून बनाने की बारी आई और महिलाओं को समानता का अधिकार देने की बात आई तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। बाबा साहेब का ये सपना सिर्फ दलितों के लिए नहीं, टाटा बिड़ला के घर की महिलाओं के लिए भी था। पर कांग्रेस और राजनेताओं ने तमाम डर पैदा किए। उसी समय अंबेडकर जी ने मंत्री पद छोड़ दिया था। धीरे धीरे बहुत साल लग गए कई सरकारें आ के चली गईं और वे सारे प्रस्ताव स्वीकार किए जो जो बाबा साहेब ने तैयार किए थे।

बाबा साहेब का मंत्र है शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो. सबको अंतिम वाला अच्छा लगता है लेकिन उनके पहले मूल मंत्रों को अपना लें तो इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। एक वक्त था जब उन्हें छोटे कर्मचारी भी हाथ में पानी नहीं देते थे। उस माहौल में भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी।
Special News Coverage
Next Story
Share it