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पीएम मोदी का सामान्य ज्ञान कैसा?

Shiv Kumar Mishra
5 April 2019 4:42 AM GMT
पीएम मोदी का सामान्य ज्ञान कैसा?
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क्या विपक्ष भी तर्कहीन हो चूका है जिसका कोई जबाब नहीं है. इन मुद्दों पर बात करने की जरूरत है देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की बात के अलावा भी कई मुद्दे है जिन्हें न तो सरकार कहती है न ही विपक्ष उठाता है. किसान को डीजल कब सस्ता मिलेगा. आम आदमी को रोजगार कब मिलेगा? अब इन मुद्दों पर बात करने की जरूरत है. देश का विकास तभी होगा.

देश में इस समय लोकसभा चुनाव के मौसम चल रहा है जबकि सभी पार्टियाँ जनता को सम्मोहित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. आये दिन तरह तरह के प्रलोभन देकर वोटर को अपने पाले में कर रही है. लेकी जिस तरह से छप्पन इंची सीने वाले पीएम मोदी ने खुले आम कहकर साफ़ कर दिया वो वाकई काबिले तारीफ़ है. और जब इतना साफ साफ़ कह चुके तो मीडिया इसका पर्दाफाश करने में अपने आप को हताश क्यों मान रही है.

शुरुआत 2014 से करते है

मालुम हो कि आपको लोकसभा 2014 के चुनाव में एक नारा दिया गया 65 बनाम 65 महीने. आपने ध्यान नहीं दिया जबकि पीएम पद के दावेदार ने उन कांग्रेस विरोधी सरकारों और खासकर बीजेपी के संस्थापक स्व श्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार को भी नाकाम बताया जबकि आरएसएस और बीजेपी समर्थक हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा दे रहे थे. लेकिन इतने तक ठीक था सत्ता से दूर रही पार्टी सत्ता पाने के लिए कुछ इधर उधर भी कर देती है/ लेकिन फिर भी पीएम मोदी के समान्य ज्ञान का कोई सानी नहीं है.

अब बात 2019 की करते है

हमारे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी नेता सभी नेता मंच से एक ही बात कहते नजर आते है देश में सत्तर साल में कुछ नहीं हुआ. अब संसय मेरा बढ़ गया तो मैंने जानकारी कि देश में पहली सरकार का गठन कब हुआ? तो मिली जानकारी के मुताबिक आम चुनाव 1951 में हुए. जिसमें कुल लोकसभा सीटें 489 पर चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने 368 सीटें जीतकर जवाहर लाल नेहरु को प्रधानमंत्री बनाया.







इस दौरान जो सरकार बनी उनकी सूची आपके सामने है. लेकिन पीएम सिर्फ इन सत्तर साल के विकास को लेकर एक ही पार्टी पर हमला करते है. जबकि 1951 से लेकर अब तक सिर्फ और सिर्फ जनवरी 2019 तक 68 साल पूरे हो चुके है, जबकि उन सत्तर सालों में अभी दो वर्ष बाकी है और इनमे भी विकास की उम्मीद जनता को पीएम नरेंद्र मोदी से रखने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. क्योंकि बीजेपी के सभी नेता और खुद पीएम मोदी यह बात सरेआम मंच से कहते है कि देश में सत्तर साल से विकास नहीं हुआ है.


अब आपको बताते है किस किस पार्टी ने कितने साल किया शासन

कांग्रेस ने सबसे ज्यादा इस देश में सत्ता संभाली और उसने सबसे पहले 27 साल तक लगातार सरकार चलाई जिसके प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु , गुलजारी लाल नंदा ,लालबहादुर शास्त्री , श्रीमती इंदिरा गाँधी रही.

उसके बाद मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह ने इस देश की बागडोर 77 से लेकर 80 तक तीन साल चलाई और अस्सी में एक बार फिर से देश में आम चुनाव हुए.

अस्सी के आम चुनाव के बाद कांग्रेस ने लगातार दस साल फिर से सरकार चलाई जिसका नेत्रत्व श्रीमती इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने किया. देश में 1989 के हुए आम चुनाव में सत्ता का परिवर्तन हुआ और सत्ता अब जनता दल और बीजेपी गठबंधन के हाथ चुकी थी.

अब 1989 अर्थात नौबीं लोकसभा में फिर त्रिशंकु सरकार बनी जिसमें बीजेपी और जनता दल ने मिलकर विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री बनाया, उसके कुछ महीनों बाद फिर हुई उठापटक में कांग्रेस ने समर्थन देकर चन्द्रशेखर को पीएम बना दिया और सभी सरकारें उस समय दो साल ही टिकी देश में एक बार फिर मध्यावधि चुनाव हो गये. लिहाजा अब कांग्रेस से अलावा भी सरकार अपने हिसाब से पांच साल चल चुकी थी जबकि कांग्रेस 37 साल शासन कर चुकी थी.

अब दसवीं लोकसभा की तैयारी थी साल 1991 चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से सत्ता हासिल की और अगले पांच साल पीवी नरसिम्हाराव ने देश की बागडोर संभाली और अब कांग्रेस देश पर 42 साल शासन कर चुकी थी देश में 1996 में फिर आम चुनाव का विगुल बज चूका था,

अब ग्यारहवीं लोकसभा में किसीको भी बहुमत नहीं मिला बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. तो इस लिहाज से पहला मौका बीजेपी के हाथ आया लेकिन प्रधानमंत्री पद के शपथ लेने के बाद अटल बिहारी बाजपेयी अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए. उसके बाद दो साल तक इंद्र कुमार गुजराल ने और एच दी देवेगौडा ने सरकार चलाई. देश में एक बार फिर से आम चुनाव की नौबत आई और फिर चुनाव 1998 में हुए.


अब बारहंवीं लोकसभा में बीजेपी को एक बार फिर सबसे ज्यादा सीटें मिली लेकिन बहुमत से काफी दूर थी. बीजेपी ने एक एनडीए के नाम से संघठन बनाया जिसमें कई दल शामिल किये और पीएम पद पर एक बार फिर अटल बिहारी बाजपेयी आसन हुए. लेकिन फिर एक बार मध्यावधि चुनाव की नौबत आई और 1999 में हुए आम चुनाव में बीजेपी को फिर उतनी ही सीटें मिली जबकि कांग्रेस को नुकसान हुआ और तेरहवीं लोकसभा की सरकार पुरे पांच साल चली. साल 2004 में फिर से आम चुनाव हुए बीजेपी की लहर मानी जा रही थी लेकिन सफलता कांग्रेस को मिली. अब अटल बिहारी बाजपेयी की बीजेपी देश में सात साल सरकार चला चुकी थी.


अब चौदहवीं लोकसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी उभर कर आई लेकिन बहुमत से दूर थी लिहाजा अब यूपीए का गठन किया गया और सन 2004 से लगातार दस साल तक दो बार सरकार बनाई जिसका नेत्रत्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया. अब कांग्रेस देश पर 52 साल शासन कर चुकी थी. इसके बाद 2014 में हुए आम चुनाव में अब कई साल बाद पूर्ण बहुमत की बीजेपी की सरकार बनी.


अब सोलहवीं लोकसभा में बीजेपी को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का पहला मौका हाथ आया जिसका नेत्रत्व नरेंद्र मोदी कर रहे है. अब इस लिहाज से बीजेपी को लगभग बारह साल स्पष्ट जबकि कार्यवाहक के तौर पर तेरह साल सरकार रह चुकी है, जबकि कांग्रेस अब तक 52 साल सरकार चला चुकी है. चार साल मिलीजुली सरकार और छोटी छोटी पार्टियाँ शासन कर चुकी है.


अब देश में अब तक कुल सरकार अरसठ (68) साल में बावन साल कांग्रेस और तेरह साल बीजेपी ने सरकार चलाई है. लेकिन पीएम मोदी ने सबको नाकाम बताया है. अब उसके बाद दो साल और नाकामी की बात सबके सामने कह रहे है लेकिन है कोई पूंछने वाला यह बात ऐसा क्यों?

क्या विपक्ष भी तर्कहीन हो चूका है जिसका कोई जबाब नहीं है. इन मुद्दों पर बात करने की जरूरत है देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की बात के अलावा भी कई मुद्दे है जिन्हें न तो सरकार कहती है न ही विपक्ष उठाता है. किसान को डीजल कब सस्ता मिलेगा. आम आदमी को रोजगार कब मिलेगा? अब इन मुद्दों पर बात करने की जरूरत है. देश का विकास तभी होगा.



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