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यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका, सात साल में महज सात सीट पर क्यों सिमटी देश की सबसे बड़ी पार्टी

Special Coverage News
15 Jan 2019 6:01 AM GMT
यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका, सात साल में महज सात सीट पर क्यों सिमटी देश की सबसे बड़ी पार्टी
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उत्तर प्रदेश के 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की वह तस्वीर भूली नहीं जा सकती जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एक बस पर सवार होकर रोड शो कर रहे थे. दोनों नेता एक दूसरे का हाथ थामे हुए थे और साथ साथ चल रहे थे. कांग्रेस सपा के कार्यकर्ता "यूपी को साथ पसंद है" का नारा लगा रहे थे. लेकिन 2 साल में तस्वीर बदल गई अब नई तस्वीर में अखिलेश यादव के साथ बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती है. दोनों पार्टियों ने 2019 का आम चुनाव साथ मिलकर लड़ने का ऐलान भी कर दिया है. इस नई तस्वीर का हिस्सा अब राहुल गांधी नहीं है और ना बन पाने की उम्मीद दिखाई पड़ रही है.


ऐसे में कांग्रेस ने यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस किस हालात से जूझ रही है. पिछले तीन बड़े चुनाव में से कांग्रेस ( 2012 का विधानसभा चुनाव 2014 का लोकसभा चुनाव 2017 का विधानसभा चुनाव) का वोट शेयर लगातार घटता जा रहा है. पार्टी 2012 में जहां 11.2 फीसदी वोट पाई थी तो सात साल बाद 6.25 फीसदी पर सिमट गई है. इसका यही प्रदर्शन जारी रहा तो कांग्रेस 80 लोकसभा सीटों में से 4 या 5 लोकसभा सीटों पर ही टक्कर देती नजर आ रही है.

तीन बड़ी पार्टियों से सामना

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश चुनाव में 3 बड़ी पार्टियां भाजपा सपा बसपा का सामना करना होगा. 2017 में गठबंधन करने पर कांग्रेस को सपा समर्थकों का साथ मिला था. इस हालात में भी पार्टी केवल 7 सीटें जीतने में कामयाब हु.ई गठबंधन के बावजूद 25 विधानसभा सीटें ऐसी थी जहां समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार मैदान में थे. इन सीटों पर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई नहीं दूसरा स्थान हासिल कर पाई.


एक्सपर्ट का मानना है कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने दरियादिली दिखाते हुए कांग्रेस को ज्यादा सीटें दी थी. जबकि उसे 50 60 सीटें ही देनी चाहिए थी. लेकिन समाजवादी पार्टी ने दरियादिली दिखाते हुए कांग्रेस को 114 सीटें पर चुनाव लड़ाया.लेकिन कांग्रेस महज 6.2 फ़ीसदी वोट पाकर 7 सीट ही जीत पाई. इस चुनाव में सपा भी पूरी तरह पराजित हुई और भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. बदली परिस्थितियों के मुताबिक सपा की साइकिल हाथी की सवारी कर रही है. देखना है 80 लोकसभा वाले देश के सबसे बड़े सूबे में यह जोड़ी अपना क्या करतब दिखाएगी. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यह यह गठबंधन बीजेपी को बड़ा झटका देगा.

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