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कविता: कृषक के मुखड़े पे मुस्कान छाई....दामिनी दिखाई है

कविता: कृषक के मुखड़े पे मुस्कान छाई....'दामिनी दिखाई है'

आई बरसात ऋतु चहुँ ओर घन घोर।मेघ बीच गर्जना में दामिनी दिखाई है।।बदरी आकाश बीच छाई है अन्हार जसचहुँ ओर धारा जल वृष्टि की दिखाई हैघोर जलवृष्टि अंधकार छाई चहुँ ओरभूतल समस्त जल-जलद दिखाई हैआई बरसात...

1 Aug 2021 8:45 AM GMT
आंसुओ की गहराई में सिमटती ………वो लड़की...!

आंसुओ की गहराई में सिमटती ………वो लड़की...!

वक्त की मार सहे…रौशन से उस चेहरे में …

30 July 2021 1:39 PM GMT