
- Home
- /
- विविध
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- रात में आपका टिकट चेक...
रात में आपका टिकट चेक नही कर सकते अधिकारी, रेल यात्रियों से जुड़ा ये नियम जानिए आप भी

प्रताप सिंह
हम सभी अक्सर ट्रेन का सफर करते हैं, ऐसे में जरूरी है कि हमें रेल नियमों की पूरी जानकारी हो. यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railway) लगातार अपनी सेवाओं को अपडेट कर रहा है.
इसी के साथ ही रेलवे के कई नियम भी हैं, जिनसे हमारा सफर सुखद, सुरक्षित और आरामदायक बनता है. इन नियमों के पालन से यात्रा आसान होती है. यहां हम आपको भारतीय रेलवे के ऐसे ही एक नियम के बारे में बता रहे हैं.
अक्सर रेल यात्रियों को शिकायत रहती थी कि उनके सो जाने के बाद टीटी टिकट चेक करने आते हैं और उन्हें नींद के बीच में जागना पड़ता है. यात्रियों की इस समस्या को दूर करने के लिए और सफर को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने नियम बनाया है कि रात के 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक यात्रियों के सोते वक्त टीटी टिकट चेक नहीं कर सकता. लेकिन ध्यान रखें कि रेलवे का यह नियम उन यात्रियों पर लागू नहीं होता, जिनकी यात्रा रात के 10 बजे के बाद शुरू होती है.
मिडिल बर्थ के लिए रेलवे का नियम
रात 10 बजे से 6 के बीच मिडिल बर्थ वाला यात्री सीट पर आराम से सो सकता है. इस बीच आपका सहयात्री आपके सोने पर आपत्ति नहीं जता सकता है. यानी अगर कोई यात्री रात 10 से पहले मिडिल बर्थ वाली सीट को खोलना चाहता है तो अन्य यात्री उसे ऐसा करने से रोक सकते हैं, लेकिन रात 10 से सुबह 6 के बीच मिडिल बर्थ वाला यात्री बिना रोक टोक अपनी सीट पर सो सकता है.
10 बजे के बाद ईयर फोन इस्तेमाल करना होगा
यात्रा के दौरान अक्सर लोग मोबाइल फोन पर गाने सुनते हैं या वीडियो देखते रहते हैं, जिसकी वजह से अन्य यात्रियों को काफी परेशानी होती है. ऐसे में यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने नियम बनाया है कि रात के 10 बजे के बाद यात्री बिना ईयर फोन के मोबाइल पर गाने और वीडियो नहीं सुन सकते हैं.
भारतीय रेल इंजन की है इतनी कीमत
भारतीय रेल के इंजन को बनाने में 20 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है. चूंकि, भारतीय रेल के इंजन देश में ही बनाए जाते हैं, इसलिए इसकी कीमत इतनी कम है. भारतीय रेल में मुख्य रूप से दो प्रकार के इंजन इलेक्ट्रिक और डीजल का प्रयोग किया जाता है. आइये जानते हैं इनके बारे में.
आपक बता दें कि भारत में वर्तमान में कुल 52 फीसदी ट्रेनें डीजल से संचालित की जाती हैं. जिसे इलेक्ट्रिक ट्रेक पर रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और जिससे अक्सर रेल के संचालन में देरी हो जाती थी.
रेलवे द्वारा इस डुअल मोड वाले इंजनों के निर्माण से लोकोमोटिव को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती. क्योंकि इलेक्ट्रिक ट्रेक पर उसी डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा है. आपको बता दें कि एक डुअल मोड वाले लोकोमोटिव की लागत अठारह करोड़ रुपये के आसपास आती है, जबकि एक 4500 एचपी डीजल लोकोमोटिव की लागत लगभग 13 करोड़ रुपये आती है. जहां तक इसके वजन और रफ्तार की बात है, डुअल मोड लोकोमोटिव डीजल लोकोमोटिव के मुकाबले भारी है और ये 135 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलता है.