लखनऊ

गठबंधन करने के बाद भी लगा अखिलेश यादव को बड़ा झटका, पुरानी हालत भी बचानी मुश्किल

Special Coverage News
23 May 2019 7:58 AM GMT
गठबंधन करने के बाद भी लगा अखिलेश यादव को बड़ा झटका, पुरानी हालत भी बचानी मुश्किल
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह प्रक्टिकल भी फेल होता नजर आ रहा है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ जाकर देख लिया और इस बार बसपा के साथ जाकर भी देख लिया लेकिन नतीजा सिर्फ शिफर ही नजर आया है. जहाँ उनके खिलाफ उनके पारिवारिक लड़ाई ने अब उनकी पार्टी का खात्मा होते नजर आ रहा है.


अभी अभी मिली जानकारी के मुताबिक समाजवादी सिर्फ छह सीटों पर बढत कायम है. जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसने अकेले लड़कर भी पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार जीत ली थी जबकि अब सिर्फ एक सीट पर बढत मिलती नजर आ रही है. इस गठबंधन में अजीत सिंह की भी राजनैतिक हालत पतली हो जायेगी. अभी तक अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी दोनों ही हार रहे है. जबकि बसपा को एक राहत जरुर मिली है उसके ग्यारह सीटों पर बढत कायम है. लेकिन अंतिम परिणाम तक कौन कौन जीतेगा इस पार अभी सवाल बना हुआ है.


इस चुनाव में एक बात जरुर साफ़ हो गया है कि अब जातिवाद क्षेत्रवाद पर चुनाव नहीं होगा. विपक्ष पीएम मोदी के खिलाफ कोई ठोस मुद्दा भी जनता के सामने रख पाई. या फिर नरेंद्र मोदी जैसे विशाल चेहरे के सामने कोई बड़ा चेहरा सामने नहीं आया. दूसरे किसी भी पार्टी के पास अब जमीन पर संघठन नहीं है लेकिन बीजेपी के पास हर बूथ पर उसका प्रतिनिधि तैयार है तो चुनाव वही जीतेंगे. अब बिना संगठन के कोई भी नहीं रह सकता है.

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