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- कमलेश तिवारी जीते जी...
कमलेश तिवारी जीते जी बताते थे संघ और भाजपा को अपनी हत्या का जिम्मेदार, फिर मौत का सबसे बड़ा फायदा बीजेपी क्यों?
अश्वनी श्रीवास्तव
गुजरात के सूरत में पकड़े गए तीन संदिग्ध या उनके दो फरार साथी अगर वही हैं, जिनका चेहरा लखनऊ में दिवंगत हिन्दू कट्टरपंथी नेता कमलेश तिवारी के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद है...तो फिर इसमें शक की गुंजाइश जरा कम ही है कि तिवारी को उनके विवादास्पद बयान के चलते कट्टरपंथी मुस्लिम हत्यार्रों ने ही मारा है। एक और सीसीटीवी फुटेज मिलने की बात भी कही जा रही है, जिसमें हत्यारों के सूरत से उसी मिठाई की दुकान से मिठाई खरीदने दृश्य कैद होना बताया जा रहा है, जिसका डिब्बा हत्या की जगह पर बरामद हुआ है।
दूसरी तरफ, खुद तिवारी के परिजन और सोशल मीडिया में लोगों का एक धड़ा तिवारी की हत्या के पीछे खुद कट्टरपंथी हिन्दू ताकतों यानी भाजपा और उसकी सरकार पर ही साजिश रचने का आरोप लगा रहा है। यही नहीं, अपनी हत्या के महज चंद रोज पहले खुद तिवारी ने 14 अक्टूबर को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर भाजपा और संघ के जरिये अपनी हत्या होने की आशंका जताई थी। नीचे कमेंट्स में उसी पोस्ट का स्क्रीन शॉट भी मैंने लगाया है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि तिवारी ने जीते जी एक बार नहीं बल्कि न जाने कितनी बार संघ और भाजपा पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप भी लगाया, जिसके वीडियो फिलहाल उनकी हत्या के बाद सोशल मीडिया पर तैर भी रहे हैं। बहरहाल, तिवारी की हत्या हो चुकी है और उनकी हत्या के पीछे का सच जानने के लिए कानून, अदालत और देश की जनता के सामने अब केवल एक ही तरीका बच गया है और वह है जांच के दौरान सामने आने वाले सुबूत...वे सुबूत, जो सरकारी जांच एजेंसियां ही जुटाएंगी और सुनवाई के दौरान अदालत में पेश करेंगी।
जाहिर है, यह बरसों चलने वाली प्रक्रिया है और इसलिए जनता के सामने मजबूरी है कि वह अदालत का फैसला आने तक मीडिया के जरिये मिलने वाली पुलिस या अन्य जांच एजेंसियों के सुबूतों की जानकारी के आधार पर ही तिवारी की हत्या के पीछे हुई साजिश या उद्देश्य का अन्दाजा लगाए। फिलहाल सुबूत जो इशारा कर रहे हैं, अगर अदालत का फैसला आने से पहले महज मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें सच मान लिया जाए तो सभी को यही लगेगा कि इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों द्वारा तिवारी के विवादित बयान से खफा होकर उनकी हत्या की गई है।
इसे ही इस वक्त मीडिया और लगभग पूरा देश सच मानकर चल भी रहा है। यह मौजूदा सच निश्चित तौर पर भाजपा और उसके नेताओं के हक में जाने वाला है। क्योंकि जनता के बीच मौजूदा तौर पर एक आम राय यही बन भी चुकी है कि इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों ने तिवारी को मारकर उनके विवादित बयान पर अपना बदला ले लिया है। इसलिए यह भी एक अकाट्य सत्य है कि क्रिया की प्रतिक्रिया के तौर पर इस एक वारदात ने देश में इस्लामी कट्टरपंथ के प्रति बढ़ते रोष की आग में जबरदस्त घी डाल दिया है।
भले ही इस वक्त इस घटना के नतीजे नजर न आ रहे हों लेकिन इसमें अब कोई दो राय नहीं है कि इस एक घटना ने हिंदुओं के ज्यादातर जनमानस में न सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथ बल्कि सामान्य मुसलमान को लेकर भी अपनी सोच बदलने में बड़ी भूमिका निभा दी है।
राजनीतिक तौर पर इसका फायदा भाजपा को ही मिलना है क्योंकि जनमानस में हुई इस अघोषित हलचल की फसल काटने के लिए भाजपा के अलावा कोई और राजनीतिक दल उसके मुकाबले में है ही नहीं। वैसे भी, अगर किसी साजिश की थ्योरी को दरकिनार कर दिया जाए तो मेरा यही मानना है कि जब भी देश में इस्लामी कट्टरपंथी किसी हिंसक या घृणित वारदात को अंजाम देते हैं, इस्लाम को इससे क्या फायदा पहुंचता है, यह तो नहीं पता लेकिन वह अपनी ऐसी हरकत से सीधे तौर पर देश में कट्टरपंथी हिंदुओं के बीच आम मुसलमानों के प्रति बढ़ रही नफरत के बीज को और कट्टर हिंदुत्व की राजनीति कर रही भाजपा को खाद पानी जरूर दे देते हैं।