बिहार में फिर राजनैतिक उठापटक, गिर सकती है नीतीश सरकार जानते है क्यों?

इस बार अगर नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ेगे तो उनके समर्थन में राजद भी नहीं आयेगा, क्योंकि पहले ही रिश्ता तोड़ लिया है।;

Update: 2018-05-07 17:16 GMT
पटना :  बिहार में विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज के लिए राजनीतिक सरगर्मियां शुरू हो गयी है। क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहली मांग थी कि बिहार पिछड़ा राज्य है जब तक उसे विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक बिहार आगे नहीं बढ़ सकता है। विशेष राज्य दर्जा के बाद ही लघु एवं कुटीर उद्योग यहां आ सकता है। क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के दामन को किनारा कर दिया कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अब भाजपा को भी टाय-टाय और बाय-बाय करने का इरादा है।
नीतीश कुमार भाजपा का दामन इसलिए थामा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगाा जिससे राज्य की उन्नति हो। प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि बिहार को विशेष पैकेज दिया जायेगा। लेकिन वह अब तक नहीं मिल सका। केन्द्र में एनडीए सरकार के चार साल पुरे हो गये है।
अगले साल चुनावी वर्ष है इसलिए जदयू का मुख्य एजेंडा विशेष राज्य के दर्जा को छोडऩा नहीं चाहते। पिछले दिनों सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी थी जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं थे। मगर सभी दलों ने सुर से सुर मिलाकर कहा कि विशेष पैकेज और विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। जब से नीतीश कुमार ने भाजपा का दामन थामे है उसके बाद पहली बार जदयू ने वोटरों से अपना विचार जानना चाहा।
जिसमें मतदाताओं ने कहा है कि अगर जदयू भाजपा के साथ रहेगी तो उनको नुकसान ही होगा, लाभ नहीं होगा। क्योंकि अल्पसंख्यक और दलितों का वोट बिगड़ सकता है। दलितों के आरक्षण का जो प्रोपगंडा था वह ग्रामीण क्षेत्र में दलितों में सूई की तरह चुभ गयी है। बता दें कि मद्य-निषेद कानून में भी सबसे ज्यादा दलित लोग जेल में बंद है। इसलिए जदयू अपना एजेंडा मनवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
 अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और पैकेज नहीं मिला तो भाजपा का भी साथ छोड़ सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। इसकी लड़ाई जदयू के भीतर खाने से नेताओं ने बिहार से दिल्ली तक शुरूआत कर दी है। इसलिए जदयू के कई नेता कार्यक्रम करने की भी सूचना है। देखना है कि चुनावी वर्ष में भाजपा किस तरह मतदाताओं को लुभाता है। इस बार अगर नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ेगे तो उनके समर्थन में राजद भी नहीं आयेगा, क्योंकि पहले ही रिश्ता तोड़ लिया है। 
अगर भाजपा सरकार बनाना चाहेगा तो राजद भी समर्थन नहीं करेगा। क्योंक अल्पसंख्यक एवं दलित वोटर राजद से नाराज हो जायेंगे। सूत्रों से जानकारी मिली है कि नवम्बर माह आते आते बिहार में राजनीति उलटफेर हो सकती है। इसलिए फिर बिहार की राजनीतिक फिर से गरम हो सकती है। कहीं बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2019 में ही नहीं हो जाये। अब देखना है कि विशेष पैकेज को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या गुल बिहारियों को खिलाता है।

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