बिहार विधानपरिषद चुनाव: राजद , जदयू , बीजेपी और कांग्रेस से मिल सकती है इनको टिकिट

बिहार विधानपरिषद के लिए 11 सदस्यों को चुना जाना है. जीतने के लिये इस बार 22 वोट की आवश्यकता है.;

Update: 2018-04-05 10:00 GMT

बिहार में विधानपरिषद की 11 सीटों पर चुनाव हो रहा है. इन सीटों पर 26 अप्रैल को वोट डालें जायेंगे और शाम पांच बजे के बाद नतीजा आयेगा. इस बार सीटों का गणित 2012 की तुलना से अलग है. विधान परिषद में एक सीट के लिए 22 वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में 2015 विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट लाने की वजह से इस बार विधान परिषद में राजद को 3 सीटों का फायदा मिलेगा और इस बार राजद के पास तीन की जगह 4 उम्मीदवार उतारने का मौका मिलेगा. राजद के लिए इस बार मौका बड़ा जरूर होगा लेकिन लालू प्रसाद के जेल में रहने के कारण उम्मीदवारों का चयन करना इतना आसान नहीं होगा.


गौरतलब है कि इस बार जदयू से नीतीश कुमार, संजय सिंह, चंदेश्वर प्रसाद, उपेंद्र प्रसाद, नरेंद्र सिंह, राजकिशोर सिंह कुशवाहा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. वहीं भाजपा से सुशील कुमार मोदी, मंगल पांडेय, लाल बाबू प्रसाद, सत्येंद्र कुशवाहा और राजद से राबड़ी देवी का भी कार्यकाल खत्म होगा.


एनडीए से नाता तोड़कर राजद के साथ आये हम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी इस चुनाव में राजद से काफी उम्मीद लगी हुई है. वो भी चार में से दो सदस्य अपनी पार्टी के भेजना चाहते है जिसमें एक उनका पुत्र संतोष मांझी तो दुसरे हम नेता वृषिण पटेल को. 


आरजेडी में फ़िलहाल राबड़ी देवी विधान परिषद में आरजेडी का प्रतिनिधित्व करती हैं. इस बार भी उनका विधान परिषद जाना तय माना जा रहा है. वहीं आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के भी विधान परिषद जाने की बात कही जा रही है. वहीं तेजस्वी यादव इस बार किसी और नए साथी को भी जोड़ उन्हें भी विधान परिषद भेज सकती है. जबकि आरजेडी के वरीय नेता जगदानंद के भी विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा है. हालांकि सीटों को लेकर अंतिम फैसला राजद सुप्रीमो सुप्रीमो के इशारे पर ही होगा.


राज्यसभा चुनाव में अशफाक करीम को उतारकर आरजेडी ने सबको चौकाया था. इस बारे में आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि राजेडी में सीटों के लिए कोई मारा-मारी नहीं है. जो फैसला हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद लेंगे वही सबको मंजूर होगा. मांझी जी को निश्चित ही आरजेडी में सम्मान मिलेगा. फिलहाल राजद के 7 प्रतिनिधि विधान परिषद में हैं.

जदयू को इस बार तीन सीटों का नुकसान होने की उम्मीद है. विधानसभा चुनाव के आधार पर इस बार जदयू को बिहार विधान परिषद में 3 सीटें ही मिलेगी. इन तीन सीटों पर 2012 की तरह सीएम नीतीश कुमार का जाना तय है. दूसरी सीट पर नीतीश कुमार के खास माने जाने वाले मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह के भी विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा तेज है. इस पर संजय सिंह ने न्यूज़ 18 हिंदी से कहा कि देखिये हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जिस पर फैसला लेंगे वह सर्वमान्य होगा. अगर मुझे भेजा जाता है तो भी ठीक है नहीं भेजा गया तो भी मैं पार्टी के लिए कार्यकर्त्ता के रूप में हमेशा की तरह काम करता रहूंगा.

बीजेपी भी तीन सीटों पर अपने उमीदवार उतार सकती है. यहां भी पहले की तरह दो सीटों पर सुशील कुमार मोदी और मंगल पांडेय का जाना तय माना जा रहा है.

वहीं कांग्रेस के विधान सभा में 27 सीट होने की वजह एक सीट विधान परिषद के मिलेगी. कांग्रेस अपनी एक सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी को विधान परिषद भेज सकती है. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बदले जा सकते हैं, ऐसे में अशोक चौधरी प्रकरण के दौरान कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े रहे कौकब कादरी को मौका मिल सकता है. हालांकि इस बारे कौकब कादरी का कहना है कि मैं एक कार्यकर्त्ता के रूप में पार्टी से जुड़ा हूं. मैंने इस बारे में अभी तक सोचा नहीं है. सभी लोग दावेदार हैं, लेकिन फैसला आलाकमान को करना है.


Similar News