शौचालय के नाम पर हुआ 13 करोड़ का घोटाला
पूरे देश में शौचालय बनवाने की होड़ है। सरकारी एजेंसियां और गैरसरकारी एजेंसियां जी-जान से लगी हैं। बिहार के कई जिलों से खबर यह भी आई कि सरकारी बाबू शौचालय बनवाने के लिए लोगों को मजबूर तक कर रहे हैं;
पटना: पूरे देश में शौचालय बनवाने की होड़ है। सरकारी एजेंसियां और गैरसरकारी एजेंसियां जी-जान से लगी हैं। बिहार के कई जिलों से खबर यह भी आई कि सरकारी बाबू शौचालय बनवाने के लिए लोगों को मजबूर तक कर रहे हैं। तभी बिहर के पड़ोस झारखंड से खबर निकली कि वहां कुछ बाबुओं ने खुले में शौच करने वालों के लुंगी खोलने की योजना बनाई।
एनजीओ और अलग-अलग एजेंसियों की मिलीभगत से पटना में शौचालय निर्माण के 13.66 करोड़ रुपये हड़प लिये गये। जांच में इसका खुलासा होने पर गुरुवार काे पूर्वी पीएचईडी, पटना के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह पर एफआईआर दर्ज की गयी। डीएम संजय कुमार अग्रवाल के निर्देश पर एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। विनय कुमार सिन्हा अभी राज्य जल पार्षद के अधीक्षण अभियंता हैं और दिसंबर में रिटायर होने वाले हैं। डीएम ने उनके भी निलंबन के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है, ताकि रिटायरमेंट के पूर्व उन्हें सस्पेंड किया जा सके।
बताया गया है कि जांच अभी जारी है, जल्द ही कई और नाम सामने आयेंगे। राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में यह नियम बनाया कि शौचालय निर्माण का पैसा एजेंसी के माध्यम से लाभुकों को नहीं दिया जायेगा। इसके बावजूद पीएचईडी के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले 10 हजार से अधिक शौचालयों का पैसा (13.66 करोड़) मई, 2016 में सीधे एजेंसी को दे दिया।
जांच में यह खुलासा हुआ है कि एकाउंट ट्रांसफर के महज एक हफ्ते पहले चेक काट कर राशि का गबन कर लिया गया। इस दौरान जब एकाउंट डीआरडीए को पूरी तरह से ट्रांसफर हो गया तो उसके बाद एकाउंट में कम राशि दिखी। तब तीन बार फंड को लेकर संबंधित अधिकारी को शो कॉज किया गया, इसके बाद डीडीसी और डायरेक्टर की संयुक्त टीम बनायी गयी। टीम की जांच में 13.66 करोड़ रुपये का गबन सामने आया है। जांच के बाद यह दायरा अभी और बढ़ने की उम्मीद है।
पैसा निकासी का यह है नियम
कार्यपालक अभियंता विनय कुमार व एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने एजेंसियों के खातों में हर चेक पांच हजार से कम का काटा था, क्योंकि नियम है कि पांच हजार से अधिक का चेक काटा जाता है तो उस पर सीनियर पदाधिकारी का भी काउंटर साइन लेना होगा। नियम के मुताबिक एक माह में मात्र 50 लाख का चेक काट सकते हैं, पर सिर्फ सात दिनों में 13 करोड़ से अधिक राशि का चेक काटा गया।
पैसे की रिकवरी के लिए जब्त होगी संपत्ति
जानकारी के मुताबिक अभी शौचालय निर्माण एजेंसी से जुड़े खातों को खंगाला जा रहा है। इससे जुड़े और इसके माध्यम से कितने पैसे किसको ट्रांसफर किये गये, इसकी लगातार जांच हो रही है। जिस एजेंसी व एनजीओ को शाैचालय निर्माण के लिए पैसे का भुगतान किया गया है, इसका कहीं कोई प्रूफ नहीं मिला है। इसके अलावा पीएचईडी में भी इन एजेंसियों से संबंधित कोई कागजात भी नहीं है। बताया गया कि पैसों की रिकवरी के लिए आरोपितों के मकान, जमीन व अन्य संपत्ति जब्त की जायेगी।
जांच अब भी जारी
शौचालय निर्माण के लिए आयी राशि को एजेंसी व एनजीओ के खातों में डाला गया। जब मामला प्रकाश में आया तो इसकी गहन जांच करायी गयी। इसके बाद दो आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करायी गयी और एकाउंटेंट को निलंबित कर दिया गया। कार्यपालक अभियंता को निलंबित करने के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है। जांच जारी है, पैसे की रिकवरी के लिए आरोपियों की संपत्ति जब्त की जायेगी।