BJP पर भडकी JDU , बिहार में राजनैतिक गहमागहमी तेज!
बिहार में बीजेपी के सहयोगी दलों में सीटों को लेकर मची रस्साकस्सी से राजनीत गरमाई हुई है. बिहार में कब किस करवट ऊंट बैठ जाय कहा नहीं जा सकता है.;
बिहार में बीजेपी के सहयोगी दलों में सीटों को लेकर मची रस्साकस्सी से राजनीत गरमाई हुई है. बिहार में कब किस करवट ऊंट बैठ जाय कहा नहीं जा सकता है. बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल जदयू , रालोसपा और लोजपा में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है. इस पार बीजेपी को जदयू को नसीहत देते हुए कहा कि अगर उसे सहयोगी दलों की जरूरत महसूस नहीं हो रही है तो अकेले चालीस सीटों पर चुनाव लड़ ले.
जनता दल यूनाईटेड ने कहा है कि नीतीश कुमार के बिना बीजेपी बिहार में नहीं जीत पाएगी, इस तथ्य को भाजपा भी समझती है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक जेडीयू नेता संजय सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि बिहार बीजेपी के नेता जो सुर्खियां बनाना चाहते हैं उन्हें काबू में रखा जाना चाहिए. संजय सिंह ने कहा कि अगर बीजेपी को गठबंधन की जरूरत नहीं है तो वह अकेले 40 सीटों पर लड़ने के आजाद है.
State BJP leaders who want to make headlines should be kept under control. There is a lot of difference between 2014 & 2019. BJP knows without Nitish ji it will not be able to win. If BJP does not need allies they are free to fight on all 40 seats in Bihar: Sanjay Singh, JDU pic.twitter.com/NbJ4QJcL6i
— ANI (@ANI) June 25, 2018
संजय सिंह ने कहा,राज्य बीजेपी के जो नेता हेडलाइन्स बनाना चाहते हैं, उन्हें काबू में रखा जाना चाहिए, 2014 और 2019 में बहुत फर्क है, बीजेपी जानती है कि नीतीश जी के बिना वो जीत नहीं पाएगी, यदि बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत नहीं है तो वे बिहार की सभी 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने को आजाद हैं. साफ तौर पर जेडीयू का इशारा उन बीजेपी नेताओं की ओर था जो लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं.
बता दें कि जदयू अगले लोकसभा चुनावों की खातिर 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर सीटों का बंटवारा चाहता है. जदयू ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया था। हालांकि तब दोनों दल अलग-अलग खेमे में थे. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को राज्य की 243 सीटों में से 71 सीटें हासिल हुई थीं जबकि भाजपा को 53 और लोजपा-रालोसपा को दो-दो सीटें मिली थीं. भाजपा और उसकी दो सहयोगी पार्टियों-राम विलास पासवान की अगुवाई वाली लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रालोसपा-की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जदयू की इस मांग पर सहमति के आसार न के बराबर हैं। लेकिन जदयू नेताओं का दावा है कि 2015 का विधानसभा चुनाव राज्य में सबसे ताजा शक्ति परीक्षण था और आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में इसके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती.