बिहार जदयू बनाम राजद की लड़ाई रोज बढती है जा रही है. अभी जल्द में ही जदयू के विधायक सरफराज आलम ने अपने से पद से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया तो वहीं अब एक और जदयू विधायक ने अपने तेवर बदल दिए हैं.
आपको बता दें कि जहां मुख्यमंत्री नीतीश ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को सही ठहराया है तो वहीं उनके विधायक और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने भागवत पर जमकर निशाना साधा है. नीतीश ने भागवत के मुद्दे पर यह कहा था कि इस मामले पर मैं क्या बोल सकता हूं. कोई संगठन सीमा की रक्षा के लिए अपनी तत्परता..व्यक्ति करता है तो इसमे कोई विवाद नहीं, मैने पूरा मामला देखा नहीं है.
श्याम रजक ने यह कहा है कि दलितों और पिछड़ों को हजारों वर्षों तक शस्त्र व शास्त्र से दूर रखा गया. इसी वजह से भारत पर हमेशा विदेशी ताकतों ने राज किया. अगर दलितों को शस्त्र रखने का अधिकार और नेतृत्व दिया गया होता तो भारत की यह परिस्थिति नहीं रहती. दलित को शास्त्र-अध्यापन और शिक्षा से दूर रखे जाने के कारण दूसरे हमलावरों को भारत में प्रवेश करने का मौका मिल गया. संघ प्रमुख ने बिहार यात्रा के दौरान कहा था कि आपसी फुट के कारण ही दूसरों ने हम पर राज किया.
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्याम रजक ने कहा कि भागवत को दलितों के साथ हज़ारों वर्ष तक हुए शोषण के लिए प्रायश्चित करना चाहिए. यह तभी संभव है जब दलितों को उनका हक़ मिले, आरक्षण के माध्यम से उनके लंबित मामलों को पूरा किया जाए. मंदिर से लेकर न्यायपालिका में दलितों को समान अधिकार दिए जाएं. आबादी के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए. भागवत अपनी ताकत का इस्तेमाल करके केंद्र सरकार दबाव डालें. समतामूलक समाज के निर्माण के लिए विभिन्न वर्गों के बीच की खाई समाप्त होना जरूरी है.
आपको बता दें कि बिहार में राजनैतिक सरगर्मी काफी गर्मागर्म है, एक लोकसभा और दो विधानसभा के उपचुनाव के कारण सभी पार्टियों में उथल पुथल मची हुई है. जबकि सबसे ज्यादा नुकसान में जदयू है. इस चुनाव को सभी पार्टी लोकसभा 2019 का रिहर्सल माना जा रहा है. राजद के मुखिया लालूप्रसाद यादव जेल में है ऐसे में यह चुनाव और महत्वपूर्ण हो जाता है. जदयू के गिरते जनाधार का अहसास उनके विधायक और नेताओं को हो चुका है. इसलिए रोज बयान बाजी हो रही है. असल में यूपी बिहार की राजनीत अन्य प्रदेशों की अपेक्षा अलग है.