एल पी शाही जी का निधन ,कांग्रेस की अंतिम पीढी का यू ही चला जाना

Update: 2018-06-10 07:52 GMT
ललितेश्वर प्रसाद

अशोक मिश्र 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एल पी शाही आज पंच तत्व में विलीन हो गये. राजधानी पटना के दीघा घाट पर संपन्न हुए इस अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह रोहिल के अलावे कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता कार्यकर्ता और स्व शाही के चाहने वाले बड़ी संख्या में लोग थे.


मुझे पूरी तरह तो नही लेकिन कुछ कुछ याद है कि 1977 के जनता पार्टी की लहर में स्व शाही बलिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उ्मीदवार थे. 1952 से वैशाली जिले के लालगंज से विधायक रहने वाले शाही जी को बलिया लोकसभा का उम्मीदवार बनाना इस बात का प्रमाण था कि वे मुजफ्फरपुर ही नही बिहार के कई जिलो में उनका कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बेहतर संबध था. हालाकि जनता पार्टी की लहर में वे चुनाव जीत नही पाये और जनता पार्टी के उम्मीदवार रामजीवन सिंह से उन्हें पराजित होना पड़ा लेकिन उसके बाद स्व शाही जी ने मुड़कर नही देखा. डा0 श्री कृष्ण सिंह से लेकर आठ मुख्यमंत्रियो के मंत्रिमंडल में रहने का सौभाग्य प्राप्त होने के बावजूद वे कभी विवादो में नही रहे.



अपने बेटे स्व हेमंत शाही की हत्या के बाद उनकी मार्मिक अपील आज भी लोगो के जेहन में याद है. सत्ता से हटने के बाद भी वे अपने चहेते और कांग्रेस जनो के लिये सम्मानित रहे यही वजह रही कि उनके निधन पर दलीय सीमाये टूटी और लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी. आजादी के बाद पहली बार 1952 मे विधान सभा का चुनाव जीतने वाले जनप्रतिनिधियो में वे अंतिम कड़ी थे. हालांकि बिहार में कई संस्थाये है जो उनके नाम के दीप को जलाये रखेगी और उनकी आत्मा अमर रहेगी लेकिन उनका शरीऱ के रूप में दर्शन उनके चाहने वालो को नसीब नही होगा. स्व शाही जी को विनम्र श्रद्दांजलि.

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