केंद्र की सत्ता में काबिज नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के 25 सांसद अपनी ही सरकार से नाराज हैं। इन सांसदों में तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। इन सभी सांसदों ने केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष रामविलास पासवान के घर पर मंगलवार (24 जुलाई) को एक अहम बैठक की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को हटाने की मांग की। बता दें कि ये सभी सांसद दलित समुदाय से आते हैं। इन सांसदों ने एससी-एसटी अत्याचार कानून में बदलाव और सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में एससी/एसटी एक्ट को कथित तौर पर कमजोर करने का फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को रिटायरमेंट के फौरन बाद एनजीटी का अध्यक्ष बनाए जाने पर आपत्ति जताई गई।
बता दें कि जस्टिस गोयल इसी महीने छह जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। उसके कुछ दिनों बाद ही मोदी सरकार ने उन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का अध्यक्ष बना दिया। इससे देशभर के दलित समुदाय में यह संदेश गया कि जस्टिस गोयल को उनके फैसले की वजह से रिवार्ड दिया गया है। इस संदेश ने दलित समुदाय के सांसदों के कान खड़े कर दिए। आगामी लोकसभा चुनाव में दलितों की नाराजगी के खतरे को भांपते हुए इन सांसदों ने बैठक की। बैठक के बाद रामविलास पासवान के बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने कहा कि जस्टिस गोयल को एनजीटी के अध्यक्ष पद से हटाने की अपील प्रधानमंत्री मोदी से करेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत एससी-एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाकर दलित-आदिवासी संगठनों के प्रस्तावित 9 अगस्त के आंदोलन को रोकना चाहिए। बता दें कि इसी साल 20 मार्च को जस्टिस गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए आदेश दिया था कि किसी आरोपी को दलितों पर अत्याचार के मामले में प्रारंभिक जांच के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इससे पहले पहले केस दर्ज होते ही आरोपी की गिरफ्तारी का प्रावधान था।
इस बैठक में रामविलास पासवान के अलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री और आरपीआई सुप्रीमो रामदास अठावले, बीजेपी एससी मोर्चा के अध्यक्ष विनोद सोनकर समेत 25 दलित सांसद मौजूद थे। मोदी सरकार के खिलाफ दलितों के मुद्दे पर विद्रोह का बिगूल पूंकने वाली बहराईच की सांसद सावित्री बाई फूले भी इस बैठक में शामिल थीं। बैठक में न्यायपालिका में भी दलितों और आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग करते हुए भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की मांग की गई।