कनिष्क घोटाला: बैंको को 824 करोड़ की चपत, सीबीआई का कई जगह छापा

Update: 2018-03-21 16:11 GMT
सीबीआई ने 824 करोड़ बैंक घोटाले की जांच के सिलसिले में आरोपियों के ठिकानों पर रेड डाली है. इस मामले की जांच के लिए सीबीआई संबंधित आरोपियों के बैंक अकाउंट्स पर भी नजर रख रही है. चेन्नई में कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड(केजीपीएल) द्वारा 14 बैंकों को 824 करोड़ रुपये का चूना लगाने का नया मामला सामने आया है. एसबीआई समेत अन्य बैंकों ने केजीपीएल को 824 करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिसे बाद में एनपीए की सूची में डाल दिया गया. सूत्रों के मुताबिक मिली खबरों के अनुसार केजीपीएल के निदेशक भूपेंद्र कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन देश छोड़कर भाग चुके हैं.

नीरव मोदी और गीतांजलि समूह के मेहुल चोकसी की तरह लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग(एलओयू) के जरिए 13,540 करोड़ रुपये का घोटाला किया था. केजीपीएल ने कथित रूप से 2008 से घोटाले की शुरुआत की थी. इस संबंध में फर्जी रिकार्ड और दस्तावेजों के माध्यम से कर्ज लिया गया था.
केजीपीएल को एसबीआई ने 240 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) ने 128 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया ने 46 करोड़ रुपये, आईडीबीआई ने 49 करोड़ रुपये, सिंडीकेट बैंक ने 54 करोड़ रुपये, युनियन बैंक ने 53 करोड़ रुपये, यूको बैंक ने 45 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ने 22 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेशन बैंक ने 23 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 32 करोड़ रुपये, तमिलनाडु मर्के टाइल बैंक ने 27 करोड़ रुपये, एचडीएफसी ने 27 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक ने 27 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक ने 32 करोड़ रुपये का लोन पास किया था.
बीते जनवरी में सीबीआई को की गई शिकायत में एसबीआई ने कहा कि बैंक ने अपने खाते की फोरेंसिक ऑडिट में पाया कि केजीपीएल और इसके निदेशकों भूपेश कुमार जैन और उसकी पत्नी नीता जैन ने बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के इरादे से लेखा परीक्षकों के जरिए फर्जी और गलत रिकार्ड पेश किए.

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