IDFC बैंक और कैपिटल फर्स्ट के विलय को मंजूरी, होगा ये फायदा

देश के निजी क्षेत्र के IDFC बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी कैपिटल फर्स्ट ने आज कहा कि उन्हें विलय के लिए अपने-अपने निदेशक मंडल की मंजूरी...;

Update: 2018-01-13 13:00 GMT

नई दिल्ली : देश के निजी क्षेत्र के IDFC बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी कैपिटल फर्स्ट ने आज कहा कि उन्हें विलय के लिए अपने-अपने निदेशक मंडल की मंजूरी मिल गई है।

माना जा रहा है कि इस विलय से आईडीएफसी को फायदा होगा जिससे वह अपनी संपत्ति को तेजी से बढ़ा सकेगा। साथ ही दोनों का विलय होने पर 31 हजार करोड़ की नई कंपनी बन जाएगी। जिसके करीब 50 लाख से ज्यादा कस्टमर होंगे।

सौदे के तहत कैपिटल फर्स्ट के प्रत्येक 10 शेयर के लिए आईडीएफसी बैंक 139 शेयर जारी करेगा। आईडीएफसी बैंक और कैपिटल फर्स्ट का मर्जर 1 अप्रैल 2018 से लागू हो जाएगा।

कैपिटल फर्स्ट के मौजूदा चेयरमैन एवं एमडी वी. वैद्यनाथ विलय के बाद नई कंपनी के एमडी और सीईओ होंगे। राजीव लाल आईडीएफसी बैंक के नॉन-एक्जिक्यूटिव चेयरमैन होंगे। वह वीणा मानकर को स्थानांतरित करेंगे। हालांकि मानकर भी निदेशक मंडल में बनी रहेंगी।

जानकारों की मानें तो कैपिटल फर्स्ट के लिए यह वक्त बिल्कुल ठीक है क्योंकि ब्याज दर बढ़ रही हैं। कैपिटल फर्स्ट की मार्केट वैल्यू 8,266 करोड़ रुपये है, वहीं IDFC बैंक की मार्केट वैल्यू 23,000 करोड़ रुपये है। दोनों के विलय से 31 हजार करोड़ रुपये की वैल्यू वाली कंपनी बन जाएगी।

बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव लाल ने एक जारी बयान में कहा कि, 'हमें यकीन है कि यह विलय IDFC बैंक के लिए अभूतपूर्व होगा। इससे तकनीकी और सांस्कृतिक जुड़ाव वाले दो संगठन विविधता से भरा एक वैश्विक बैंक बनाने के लिए एक साथ आएंगे और इससे सभी संबंधित पक्षों का मूल्यवर्धन होगा।'

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