सुप्रीम कोर्ट के कड़ाई के बाद भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपए का किया भुगतान, जानिए क्या है मामला?

दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है।

Update: 2020-02-17 07:19 GMT

नई दिल्ली. भारती एयरटेल ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाया 35,586 करोड़ रुपए में से 10,000 करोड़ का भुगतान दूरसंचार विभाग को कर दिया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद दूरसंचार विभाग ने तुरंत भुगतान के आदेश दिए थे। एयरटेल ने कहा था कि 10,000 करोड़ रुपए 20 फरवरी तक और बाकी रकम 17 मार्च तक चुका देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को अवमानना की चेतावनी दी थी

एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला देते हुए टेलीकॉम कंपनियों को 23 जनवरी तक बकाया राशि चुकाने का आदेश दिया था। कंपनियों ने ब्याज और पेनल्टी में राहत की अपील करते हुए फैसले पर फिर से विचार करने की याचिका दायर की, लेकिन वह भी खारिज हो गई। इसके बाद भुगतान के लिए और समय देने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को यह अपील भी खारिज कर दी और टेलीकॉम कंपनियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए?

वोडाफोन-आइडिया पर 53,038 करोड़ रुपए बकाया

वोडाफोन-आइडिया ने शनिवार को कहा था कि वह आकलन कर रही है कि कितना भुगतान कर सकती है। वोडाफोन-आइडिया पर एजीआर के 53,038 करोड़ रुपए बकाया हैं। कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने पिछले दिनों यह भी कहा था कि भुगतान की राशि में छूट नहीं मिली तो कंपनी बंद करनी पड़ सकती है। 

क्या है एजीआर ?

दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है। 

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