आईसीआईसीआई बैंक का सबसे बड़ा घोटाला पकड़ा गया, अब कोई कुछ नहीं बोलता जानते हो क्यों?

निजी क्षेत्र के सबसे जानेमाने बैंक, आईसीआईसीआई बैंक का सबसे बड़ा घोटाला पकड़ा गया है.;

Update: 2018-04-06 04:13 GMT
निजी क्षेत्र के सबसे जानेमाने बैंक, आईसीआईसीआई बैंक का सबसे बड़ा घोटाला पकड़ा गया है. पर कोई भी खुल कर के कुछ कहने को तैयार नही है क्योंकि अरविंद पनगढ़िया ओर उर्जित पटेल जैसे अर्थशास्त्रियों की बैंकिंग के बारे में समझ की पोल खुलने का पूरा अंदेशा है, दोनों ही खुलकर सरकारी बैंकों के निजीकरण के पक्ष में आ गए थे.
कल रात आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर के देवर राजीव कोचर को मुंबई हवाई अड्डे पर कस्टम अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया और सीबीआई को सौंप दिया हैं सीबीआई अब उससे पूछताछ कर रही हैं.
अब यह खेल समझिये जो चन्दा कोचर ने, उनके पति दीपक कोचर ने , वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत ने ओर चन्दा कोचर के देवर राजीव कोचरने मिलकर के खेला है.आपको यहाँ इस खेल की कोई जानकारी नही होगी न ही इसे अभी तक गलत प्रेक्टिस बताता हुआ रिजर्व बैंक का बयान आया है लेकिन अमेरिका में आईसीआईसीआई बैंक की इस हरकत पर ICICI बैंक को 'क्लास एक्शन' कानूनी मामले और एक महंगे सेटलमेंट का सामना करना पड़ सकता है और अमेरिका में आईसीआईसीआई बैंक से सम्बंधित संस्थान के शेयर तेजी से नीचे गिर गए हैं. 
दरअसल चन्दा कोचर आईसीआईसीआई बैंक को अपने फैमिली बिजनेस की तरह चला रही थी और यह बात पिछले दिनों ही सामने आ चुकी है कि किस तरह से एक बड़ी इंडस्ट्री यानी वीडियोकॉन से चन्दा कोचर अपने पति दीपक कोचर की पार्टनर शिप में रिन्यूएबल एनर्जी की एक कम्पनी खुलवाती है फिर एक बहुत बड़ा लोन मंजूर करने की एवज में उस कम्पनी का पूरा अधिपत्य, दीपक कोचर को वीडियोकॉन वाले धूत साहब ट्रांसफर कर देते हैं साथ ही उस कम्पनी में करोड़ों का इन्वेस्टमेंट भी कर देते हैं.
लेकिन कहानी यही खत्म नही होती दो दिनों मे इस कहानी में बहुत बड़ा चेंज आया है और वो चेंज ये है कि एक नए किरदार की एंट्री हुई है और वो है चंदा कोचर के देवर राजीव कोचर जो एक खास तरीके का बिजनेस चलाते हैं.
राजीव अविस्टा एडवाइजरी ग्रुप नाम की कंपनी चलाते हैं यह कंपनी बड़ी कंपनियों की बैंकों के साथ लोन रिस्‍ट्रक्‍चरिंग में मदद करती हैं यानी जिन इंडस्ट्री का कर्जा लगभग डूब गया होता है उस इंडस्ट्री ओर बैंक के बीच एक प्रकार की मध्यस्थता का रास्ता सुझा देते है, ओर साथ ही उन कंपनियों को नया लोन भी दिलवा देते हैं इस काम को कारपोरेट की भाषा मे क्लाइंट्स के कर्ज को रीस्ट्रक्चरिंग के लिए एडवाइस किया जाना बोला जाता है.
एविस्टा एडवाइजरी वो ही कंपनी है, जिसने पिछले 6 साल में सात बड़ी कंपनियों के 1.7 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा और लोन दिलाने में मदद की. ओर कमाल की बात तो यह है कि इन सभी कंपनियों ने ICICI बैंक से एक ही समय पर कर्ज लिया था. कुछ कम्पनियों के नाम इस प्रकार है जयप्रकाश एसोसिएट, जीटीएल इंफ्रा, सुजलॉन और जयप्रकाश पावर आदि वीडियोकॉन भी अविस्ता एडवाजरी का एक बड़ा क्लाइंट है .
जब आईसीआईसीआई बैंक से पूछा गया कि किस बिना पर आपने एविस्ता के राजीव कोचर ओर चन्दा कोचर के नजदीकी रिश्तेदार होने पर प्रश्न नही उठाया तो ICICI का कहना था कि कंपनीज एक्ट 1956 और 2013 के तहत पति का भाई रिलेटिव की कैटेगरी में नहीं आता है. इसलिए बैंक इसे गलत नही मानता है.
अब बताइये ये घटिया जवाब किस तरह से गले उतर सकता है राजीव कोचर भी कह देते हैं कि 'इसमें हितों के टकराव का कोई मामला नहीं है. सलाहकार चुनने की पूरी प्रकिया प्रतिस्पर्धी होती है.'
लेकिन बिजनेस करने वाला हर आदमी जानता है कि जब इस कम्पनी वाले का इतना करीबी रिश्तेदार बैंक के CEO के पद पर बैठा हो तो किसी ओर कम्पनी से लोन का रिस्ट्रक्चरिंग क्यो करवाया जाए.
लिहाजा यह फायदा धूत साहब ने पूरी तरह से उठाया और एविस्ता की सेवाएं लेकर आईसीआईसीआई बैंक में अपने लोन 3,250 करोड़ रुपये को 2017 में राइट ऑफ करवा लिया, ओर ऐसे ही बाकि कम्पनियो ने भी किया होगा जिसके कच्चे चिठ्ठे खुलना अभी बाकी है.
अब यदि इसमे भी किसी को कोई घोटाला नही दिख रहा तो वह अपने दिमाग का इलाज करवा लें.

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