गोपाल कृष्ण गाँधी ने कुछ साल पहले सीबीआई की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कही थी ये बात, 'रिलायंस एक समानांतर राज्यसत्ता ही है'
गिरीश मालवीय
कुछ दिन मुसलसल तौर पे खामोशी से गुजरते है ओर अचानक एक दिन खबरों का मानो बवंडर आ जाता है. कल का दिन भी कुछ ऐसा ही दिन था जब बहुत सारी खबरें अचानक एक साथ आयी थी. कल ही रिलायंस को लेकर यह बड़ा खुलासा हुआ कि अन्तराष्ट्रीय पंचाट में सरकार रिलायंस की गैस चोरी का केस हार गयी और अब उसे 10 हजार करोड़ रिलायंस से लेना नही बल्कि 50 करोड़ रु देना निकलते हैं.
मुख्य मीडिया में इस बात पर कही कोई चर्चा नही हुई हा लेकिन कल सुबह 11 बजे के लगभग ABP न्यूज़ पर आधा घण्टे तक एंकर इस बात पर हैरान परेशान होता रहा कि एक मुल्ला की दाढ़ी जबरन क्यो काट दी गयी ? खैर अब ये रोज का सिलसिला है ! रात होते होते रिलायंस से जुड़ी एक ओर बड़ी खबर सामने आयी कि जियो पेमेंट बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का गठबंधन वास्तविक धरातल पर सामने आ गया है वैसे 4 अप्रैल 2018 को यह घोषणा हो गयी थी कि SBI जिओ से मिलकर एक पेमेंट बैंक बनाने जा रहा है लेकिन कल हकीकत में यह सामने आ गया.
इस न्यूज़ को इस तरह से बताया जा रहा है कि इससे SBI को बहुत बड़ा फायदा हो रहा है लेकिन वास्तविकता यह है कि जियो को थाली में परोस कर डिजिटल पेमेंट का किंग बनाया जा रहा है, इसे आप ऐसे समझिए कि अगर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई में आपका खाता है और साथ ही आप रिलायंस जियो के भी कस्टमर हैं, तो आप ऑटोमेटिक तरीके से जियो पेमेंट बैंक के ग्राहक बन जाएंगे.
जियो पेमेंट बैंक में एसबीआई की सिर्फ 30 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि 70 फीसदी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है. मार्केट में मिल रहे तगड़े कॉम्पिटिशन के बावजूद एसबीआई के पास भारत के कुल पेमेंट स्पेस का 30% मार्केट शेयर है तो इस खेल में लाभ किसको मिल रहा है यह समझना मुश्किल नही है. साफ दिख रहा है कि एक तरह से थाली में सजाकर एसबीआई के कस्टमर को जिओ को परोस दिया गया हैं.
ओर गजब की बात तो यह है कि जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड को नोटबंदी के ठीक दो दिन बाद ही 10 नवंबर 2016 को आधिकारिक तौर पर निगमित किया गया था. इसे इस तरह भी समझा जा सकता हैं कि नोटबन्दी के बाद बढ़ने वाले डिजिटल करंसी के उपयोग की जिओ को पहले से ही खबर थी इसलिए उसने दवाब बनाकर भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ उसने ये समझौता कर लिया था.
अभी तक स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को किसी भी पेमेंट बैंक या वॉलेट कम्पनियों के साथ सीधे तरह से जोड़ने से इंकार करता आया है 20 अक्टूबर 2017 को SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 'आज के दौर में टेक्नॉलजी की वजह से कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होने का खतरा है। हमें इस चुनौती से सावधान रहने की जरूरत है। हमारी प्राथमिकता अपने कार्यक्षेत्र को इन फिनटेक कंपनियों से बचाने की है।'
लेकिन जियो के मामले में मोदी सरकार की तलवार SBI की गर्दन पर लटकी हुई साफ दिखाई देती है पिछले साल खबर आयी थी कि एसबीआई ने पेटीएम, मोबीक्विक, एयरटेल मनी समेत सभी ई-वॉलेट्स को ब्लॉक कर दिया है। ओर एसबीआई नेट बैंकिंग के जरिए ग्राहक अपने इन ई-वॉलेट्स में पैसे ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे इस फैसले को लेकर बैंक ने आरबीआई को सफाई दी थी कि ऐसा करने पर उसके सुरक्षा और कारोबारी हित प्रभावित होते हैं लेकिन जियो को यह सारी सुविधा देने पर उसके कारोबारी ओर सुरक्षा हित प्रभावित नही होते ?
कल ही एक आश्चर्यजनक खबर और सामने आयी कल भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट बैंक ओर फिनो पेमेंट बैंक को नए कस्टमर बनाने से रोक दिया वजह ये बताई गयी कि ये पेमेंट बैंक, आरबीआई के बैंकिंग नियमों के प्रावधान का पालन नहीं कर रहे थे इनमें केवाईसी नियम और मनी लांड्रिंग एक्ट के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन शामिल है
यानी इशारा साफ है अन्य सारे पेमेंट बैंक ओर वॉलेट पर अब नियंत्रण स्थापित कर जियो को तरजीह दी जा रही हैं जियो ही आपका मोबाइल पर कब्जा कर लेगा जियो से ही आपके घर इंटरनेट पुहचाया जाएगा , जियो ही आपके घर टीवी के सिग्नल देगा ओर जियो ही आपकी बैंकिंग को नियंत्रित करेगा , आपकी घर की घरेलू गैस और आपकी गाड़ी में डाले जाने वाले पेट्रोल के दामो पर भी रिलायंस नियंत्रण रखेगा ओर भी न जाने क्या क्या......
गोपाल कृष्ण गाँधी ने कुछ साल पहले सीबीआई की स्वर्ण जयंती के अवसर पर डीपी कोहली व्याख्यान में बिल्कुल सही कहा था .........'रिलायंस एक समानांतर राज्यसत्ता ही है। मैं ऐसे किसी देश के बारे में नहीं जानता जहां कोई इकलौती फर्म इतने नग्न रूप में प्राकृतिक, वित्तीय, पेशेवर और मानव संसाधनों पर अपना नियंत्रण रखती है जितना कि अंबानियों की कंपनी यहां करती है.
(ेखक एक वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक मामलों के जानकर है, यह उनके निजी विचार है)