सरकार के इस कानून से लोंन लेने वालों की पौबारह!

दिवालिया कानून में सिर्फ कंपनी की संपत्ति से वसूली होगी, जमानती (गारंटर) की संपत्ति से कतई नहीं!;

Update: 2018-03-09 01:08 GMT
मोदी के भाषणों, दिवालिया कानून और रोटोमैक वाले कोठारी जैसे एक-दो की गिरफ़्तारी से कुछ पूंजीपति सचमुच यह समझ कर नाराज न हो जाएं कि अब सच में ही उनसे कर्ज वसूली में सख्ती की जाएगी, इसके लिए आज दिवालिया मामलों की कंपनी कानून अपीलीय अदालत (एनसीएलएटी) ने उनका डर दूर करने वाला फैसला सुनाया है.

गारंटर कौन होता है
कंपनी चलाने वाला प्रमोटर या मालिक उसकी व्यक्तिगत जमानत भी होती है, कई बार संपत्ति भी गिरवी होती है. पुराने कानून में बैंक उनकी संपत्ति से वसूली कर सकते थे - जैसे माल्या का बंगला बेचने की कोशिश एसबीआई कर रहा है. इससे पूंजीपतियों में कुछ बेचैनी थी. इसलिए अब पुराने कानून और अदालत की जगह नया कानून और अदालत ही बना दी गई है और पूंजीपतियों की संपत्ति से वसूली नहीं की जाएगी.
अब ये सोचिये कि कंपनी बीमार होती क्यों है?
क्योंकि खुद मालिक पूंजीपति कंपनी से पैसा निकालकर अपनी अलग संपत्ति बना लेते हैं, जैसे आज की खबर के मुताबिक नीरव मोदी ने कम्पनी के नाम पर लिए कर्ज से कई देशों में 13 संपत्ति खरीदी| माल्या ने भी यहां कम्पनी को दिवालिया किया और विदेश में 8 हजार करोड़ का पेमेंट ले लिया. रुइया, धूत, वगैरह सबका यही हाल है. इस तरह कम्पनी बीमार होती है, और पूंजीपति और अमीर! बैंक का कर्ज डूबता है जो मेहनतकश जनता से वसूल कर लिया जाता है. किसी भी दिवालिया कंपनी के मालिक पूंजीपति दिवालिया नहीं हुए हैं बल्कि उन्होंने कर्ज में पूंजी की हेराफेरी से नए कारोबार खड़े कर लिए हैं जो अब मोदी के दिवालिया कानून में बिल्कुल सुरक्षित रहेंगे, जबकि पुराने कानून में बैंक उनसे भी वसूली कर सकते थे.
दिवालिया कानून में सिर्फ कंपनी की संपत्ति से वसूली होगी, जमानती (गारंटर) की संपत्ति से कतई नहीं!

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