मोबाइल भुगतान का बदलेगा तरीका, आपकी आवाज से होंगी ट्रांजेक्शन

’आईआईटी मद्रास के प्रोफैसर रैना ने पीटीआई भाषा से कहा कि आने वाले महीनों में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, एसएमएस बैंकिंग के लिए संदेशों का फॉर्मेट आसान बनाने, नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी), प्रॉक्सिमिटी पेमेंट आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा

Update: 2017-10-29 10:39 GMT

नई दिल्लीः मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआई) यूजर फ्रेंडली फीचर्स जैसे वायस बेस्ड‍ ऑथेंटिकेशन को लाने की तैयारी कर रहा है. इस फोरम का गठन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और बैंकिंग प्राद्योगिकी पर काम करने वाली हैदराबाद की संस्था इंस्टिट्यूट फार डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलाजी ने मिल कर किया है.

बता दे इस तरह के फीचर आने से लोगों के लिए मोबाइल से पेमेंट करना काफी आसान होगा. ये उन लोगों के लिए भी काफी मददगार होगा, जिन्‍हें फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन की जरूरी जानकारी नहीं है. एमपीएफआई एक थिंक टैंक है, जो मोबाइल पेमेंट सिस्टंम को लेकर सॉल्यूोशन देता है.

एमपीएफआई, इंस्टीरट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोगलॉजी, हैदराबाद और रूरल टेक्नोीलॉजी बिजनेस इनक्यु बेटर, आईआईटी मद्रास का एक ज्वा इंट इनीशिएटिव है. फोरम का मिशन मोबाइल पेमेंट्स और फाइनेंशियल सर्विसेज को सुरक्षित, प्रभावी और सस्ता बनाना है.

एमपीएफआई ने इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के लिए इंटरपोर्टेबिलिटी और सिक्यो रिटी स्टैं डडर्स डेवलप करने में अहम रोल अदा किया है. आईएमपीएस मोबाइल पेमेंट्स का बेसिक प्लेकटफॉर्म है. एमपीएफआई में पॉलिसी मेकर्स, बैंक, टेलिकॉम कंपनियां और अन्यय शामिल हैं.

एमपीएफआई के चेयरमैन गौरव रैना ने बताया कि हमारा फोकस फ्यूचर की टेक्नोकलॉजी को लेकर है, जिसमें वायस बेस्डै ऑथेंटिकेशन और सिक्यु रिटी एंड प्राइवेसी शामिल है. लेकिन हमारा उद्देश्ये इसे अधिक से अधिक लोगों के लिए आसान बनाना है.

उन्होंने आगे कहा, ''हर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है. नेटवर्क बेहतर हो रहा है पर यह कई बार खराब हो सकता है. वॉयस बेस्डी अथेंटिकेशन की डिजाइनिंग को लेकर प्रयास शुरू हैं. एमपीएफआई का फोकस आने वाले सालों में इस तरह के फीचर डेलवप करने पर है.

'आईआईटी मद्रास के प्रोफैसर रैना ने पीटीआई भाषा से कहा कि आने वाले महीनों में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, एसएमएस बैंकिंग के लिए संदेशों का फॉर्मेट आसान बनाने, नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी), प्रॉक्सिमिटी पेमेंट आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा.

रैना ने उदाहरण के तौर पर कहा कि खाते की राशि संबंधी उद्देश्यों के लिए सभी बैंकों में एक मास्टरकोड का इस्तेमाल किया जा सकता है. आवाज आधारित प्रमाणन के बारे में उन्होंने कहा, ऐसा माना जा रहा है कि वित्तीय लेन-देन के संबंध में साक्षरता का एक तय स्तर है पर उद्देश्य इसे अधिक से अधिक लोगों के लिए आसान बनाना है.

रैना ने बताया कि अगस्त 2017 में अकेले आईएमपीएस और यूपीआई के जरिए 9 करोड़ से ज्याैदा फाइनेंशियल ट्रांजैक्शतन हुए। 2016-17 में आईएमपीएस पर 50 करोड़ ट्रांजैक्श न हुए थे. उन्होंलने कहा कि आंकड़ों में ग्रोथ काफी बेहतर है लेकिन यह इस बात का भी संकेत है कि इंडियन इकोनॉमी में मोबाइल पेमेंट्स के लिए काफी ज्यादा  संभावनाएं हैं. 



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