उत्तर प्रदेश की तीन सरकारों के बारे में जनता का क्या ख्याल रहता है. इस बारे में कुछ लोंगों से जो राय ली गई उसके मुताबिक़ तीनों सरकारों की एक रिपोर्ट बनाई गई है जिसमें सरकार किस तरह जनता के कार्य करती नजर आई।
बसपा सरकार 2007 से 2012
बसपा सरकार पर आरोप था कि कानून-व्यवस्था चाक-चौबंद थी, प्रशासन पर सरकार की तगड़ी नकेल थी, काम भी सरकार ने बहुत कराए और जनता का काम रुकता भी नहीं था लेकिन भ्रष्टाचार बहुत था।
सपा सरकार 2012 से 2017
सपा सरकार के बारे में कहा जाता था कि काम तो अखिलेश ने भी बहुत कराए और जनता के काम भी हो जाते थे, भ्रष्टाचार भी बसपा सरकार जितना नहीं था लेकिन गुंडई, दबंगई और यादववाद पर अखिलेश लगाम नहीं लगा पाए।
बीजेपी सरकार 2017 से अब तक
अब योगी सरकार के बारे में धारणा बन रही है कि कोई काम न तो सरकार करा रही है, न जनता के काम हो पा रहे हैं, प्रशासन पर योगी की पकड़ है ही नहीं, अधिकारी बेलगाम हैं, कानून व्यवस्था राम भरोसे है, बिना घूस के किसी का काम हो ही नहीं रहा यानी भ्रष्टाचार चरम पर है, ठाकुरवाद खुल कर हो रहा है, गुंडई-दबंगई भी शबाब पर है। मुख्यमंत्री लखनऊ में बैठकर बैठक पर बैठक ले रहे हैं। अधिकारी उन्हें झूठी जानकारियां देकर भरमा रहे हैं। फाइलें दबाकर अफसर मौज काट रहे हैं।
कुल मिलाकर यह कि एक ही जोगी से मठ उजाड़....