भारत यात्रा बुलेटिन-25 सितंबर, 2017
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने रांची स्थित सैटेलाइट कॉलोनी के दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) और मोरादाबादी के स्टेट गेस्स हाउस में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब वह वक्त आ गया है कि जब हमें सुरक्षित बचपन के लिए सुरक्षित भारत का निर्माण करना है। झारखंड को उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से खराब राज्य का रिकार्ड रखने वाला बताते हुए कहा कि यहां से गरीब आदिवासी बच्चों का सबसे ज्यादा पलायन होता है। बच्चे जानवरों से भी कम कीमत पर बेचे जाते हैं। दिल्ली में घरेलू मजदूर के रूप में काम करने वाले सबसे ज्यादा बच्चे झारखंड के ही होते हैं और इनकी दुर्दशा अब किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने इस अवसर पर नक्सली आंदोलन से जुड़े लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि वे बच्चों के हाथों में बंदूक की जगह कलम थमाएं ताकि वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकें।
नोबेल विजेता ने कहा कि देश में बाल यौनाचार के 53 फीसदी मामले जहां शर्मनाक हैं, वहीं पॉक्सो कानून के तहत दर्ज होनेवाले मामलों के निपटारे में देरी किसी मजाक से कम नहीं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले वर्ष देशभर में पॉक्सो कानून के तहत दर्ज 15,000 मामलों में सिर्फ 4 फीसदी मामलों में न्याय हुआ है और बाकी मामले लंबित रह गए। नोबेल विजेता ने कहा कि जब तक इस देश का एक भी बच्चा असुरक्षित है तब तक यह देश भी सुरक्षित नहीं हो सकता। भले ही हम विकास और तरक्की का लाख डंका पीट लें। बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य पर जीडीपी का सबसे कम खर्च होने पर उन्होंने अपने गुस्से का इजहार किया और कहा कि आप भी सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत के लिए अपने गुस्से का इजहार कीजिए। अपनी चुप्पी तोड़िए और अपने आसपास के लोगों को जागरुक कीजिए।
उन्होंने बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार के खिलाफ भारत यात्रा को एक महायुद्ध बताया और कहा कि वे यह महायुद्ध वह तब तक लड़ते रहेंगे जब तक कि इन महामारियों का खात्मा नहीं हो जाता। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों की मुस्कान को ईश्वर की मुस्कान बताया और झारखंड की जनता से इस मुस्कान को बचाने काआह्वान किया। दिल्ली पब्लिक स्कूल में बाल अधिकारों पर छात्रों से बातचीत का एक सत्र भी रखा गया।
इस अवसर पर झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि जिस देश मेंबच्चों को पूजने की परंपरा रही है उस देश में बच्चे-बच्चियों के प्रति बढ़ती हिंसा सबसे बड़ी चिंता का कारण होना चाहिए। श्रीमती मुर्मू ने बाल हिंसा को हर हाल में रोकने की अपील की और कहा कि आज का दिन बाल अधिकारों का दिन है। उन्होंने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा निकाली जा रही भारत यात्रा की सराहना भी की। जनसभा को पद्मश्री समाजसेवी अशोक भगत, धर्मगुरु तेलेस्फोर पी. टोप्पो और विधानसभा अध्यक्ष सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया और कहा, बाल यौन हिंसा और दुर्व्यापार को रोकने के वास्ते सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा।
दोपहर में भारत यात्रा के कारवां को लेकर नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी जैसे ही रांची स्थित सैटेलाइट कॉलोनी के दिल्ली पब्लिक स्कूल पहुंचे वहां के शिक्षकों और छात्रों ने बड़ी ही गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। उन्हें यहां शॉल और फूल-मालाओं से सम्मान किया गया। बाल हिंसा के खिलाफ जोरदार नारे भी लगे। यहां की जनसभा के बाद रांची के बिरसा चौक तक एक रैली निकाली गई, जिसमें मुख्य यात्रियों के अलावा, शिक्षकों, एनसीसी कैडेट्स, युवाओं, महिलाओं और बुद्धिजीवियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
रांची की भारत यात्रा के अलावा दो और समानांतर यात्राएं भी निकाली गईं। एक यात्रा असम के धुबरी नामक स्थान के भोलानाथ कॉलेज से और दूसरी महाराष्ट्र के शोलापुर से। धुबरी के भोलानाथ कॉलेज के कार्यक्रम में केएससीएफ की सम्पूर्णा जी, कॉलेज के सहायक प्राध्यापक सर्वश्री मोहम्मद अब्दुल, शहादत अली और अन्य शिक्षकों में नागेन्द्र नाथ रॉय,विजेन व्यापारी और हेमलता काकोटी ने प्रमुख रूप से भाग लिया। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित करने की अपील करते हुए कहा कि बाल अधिकारों से संबंधित साहित्य को स्कूलों और कॉलेजों के सिलेबस में भी लगाने की जरूरत है। यहां नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के संदेश को भी सुनाया गया।
शोलापुर के डीएवी कॉलेज में एक जनसभा का आयोजन किया गया जिसे कैलाश सत्यार्थी चिल्डेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के प्रबंध निदेशक (एमडी) श्री राहुल स्रावत और फाउंडेशन के निदेशक श्री भुवन रिभु ने संबोधित किया। यहां दोनों लोगों ने भारत यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत बनाने की लोगों से अपील की। उसके बाद शोलापुर के अम्बेडकर चौक से एक रैली निकाली गई जिसमें हजारों बच्चों, मुख्य यात्रियों, युवाओं, महिलाओं और स्थानीय लोगों ने भाग लिया। इसके बाद शोलापुर से भारत यात्रा का कारवां सीधे पुणे के लिए रवाना हो गया।
कन्याकुमारी से 11 सितंबर, 2017 को शुरू हुई भारत यात्रा 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 11,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में होगा। कन्याकुमारी से शुरू होने वाली मुख्य यात्रा के समानांतर 6 और यात्राएं भी इसके साथ होंगी जो देश के छह अलग-अलग हिस्सों से शुरू होकर मुख्य यात्रा में मिल जाएंगी। ये समानांतर यात्राएं श्रीनगर, गुवाहाटी, चैन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची और अहमदाबाद से शुरू होंगी। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है।