OMG! WhatsApp ग्रुप में इमोजी भेजने पर आहत हुई महिला, 46 पर FIR?

कोर्ट ने FIR रद्द करके हुए कहा कि इमोजी अपनी भावना व्यक्त करने के लिए भेजे गए थे और इसे किसी के खिलाफ किया गया कार्य नहीं माना जा सकता।

Update: 2018-06-10 08:23 GMT
सांकेतिक तस्वीर

चेन्नई : भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के 46 कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मद्रास हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत थी कि उन्होंने एक महिला सहकर्मी के गंभीर वॉट्सऐप मेसेज के जवाब में एक के बाद एक ही इमोजी भेजा था। कोर्ट ने एफआईआर रद्द करके हुए कहा कि इमोजी अपनी भावना व्यक्त करने के लिए भेजे गए थे और इसे किसी के खिलाफ किया गया कार्य नहीं माना जा सकता। 

जस्टिस एसएस सुंदर ने कहा कि हर किसी को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार है। हालांकि, महिला के आहत होने के कारण स्टाफ से दुख जताने के लिए कहा गया।

तूतीकोरिन में बीएसएनएल की एक डिविजन इंजिनियर विजयलक्ष्मी ने अपने ऑफिशल वॉट्सऐप ग्रुप पर एक विडियो क्लिप भेजी। क्लिप में ग्राहक कंपनी के बारे में राय दे रहे थे। ग्रुप के कुछ सदस्यों ने इसके जवाब में वॉट्सऐप का हंसते-हंसते रोने वाला इमोजी एक के बाद एक भेज दिया। यह विजयलक्ष्मी को बुरा लग गया।

उन्होंने तमिलनाडु महिला उत्पीड़न रोकथाम कानून, SC-ST ऐक्ट और आईटी ऐक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर तूतीकोरिन साउथ इंस्पेक्टर ने 46 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। ये कर्मचारी बाद में कोर्ट पहुंचे। केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुंदर ने कहा, 'हर किसी को अपने विचार अभिव्यक्त करने का अधिकार है जिसका खंडन नहीं किया जा सकता। स्टाफ को बीएसएनएल के हित में ऐसे इमोजी नहीं भेजने चाहिए थे, क्योंकि ग्रुप को टीम स्पिरिट बढ़ाने के लिए बनाया गया है।'

कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के ऐसी शिकायतें करने से लोगों के बीच में खटास आएगी जो बीएसएनएल के हित में नहीं है। अदालत ने स्टाफ से महिला से मांगने के लिए कहा, क्योंकि इमोजी से उन्हें व्यक्तिगत चोट पहुंची है। स्टाफ ने ऐसा ही किया। 

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