डॉ राजाराम त्रिपाठी की अपील: भारत बंद के दरम्यान पूर्णतः अनुशासन, अहिंसा,संयम, शांति बनाए रखें व अपनी अतिआवश्यक सेवाओं को कदापि बाधित न करें

भारत बंद के दरम्यान पूर्णतः अनुशासन, अहिंसा,संयम, शांति बनाए रखें व अपनी अतिआवश्यक सेवाओं को कदापि बाधित न करें

Update: 2024-02-16 04:06 GMT

कल देश के बहुसंख्य किसानों तथा विभिन्न वर्गों ने शांतिपूर्ण 'भारत-बंद' का आवाहन किया है। सर्वविदित है कि कैसे माननीय मोदी जी तथा उनकी केंद्र सरकार ने किसानों को "न्यूनतम समर्थन मूल्य" दिलाने की गारंटी देने के बावजूद तथा सत्ता में 10 साल रहने के उपरांत भी आज पर्यंत इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। यह सरासर वादा-खिलाफी है, और इससे देश के किसानों की दशा बद से बद्तर हो गई है।

आज किसान अपनी सभी फसलों के लिए 'एमएसपी गारंटी कानून' के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को अक्षरस: लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए 'न्याय' , दिल्ली आंदोलन के दौरान मारे गए किसान परिवारों को मुआवजा और प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी की भी मांग आदि को लेकर किसान संघर्षरत हैं। किसानों की तरफ से जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की जा रही है।

इस अवसर पर देश भर के पैंतालीस किसान संगठनों का सबसे बड़ा महासंघ : अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) इन जरूरी मुद्दों पर अपने सभी साथी संगठनों और किसानों के साथ "मनसा वाचा कर्मणा" पूरी मजबूती के साथ खड़ा है ।

इस संदर्भ में हम अपने साथियों को सूचित करना चाहेंगे कि जिला कांग्रेस कमेटी कोंडागांव की ओर से जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रमुख झुमुक लाल दीवान, वरिष्ठ कांग्रेसी श्री कैलाश पोयम, श्री गीतेश गांधी आदि पदाधिकारियों के एक संयुक्त दल ने कल के प्रस्तावित एक-दिवसीय भारत बंद को अपना पूरा समर्थन प्रदान करने की आशय का पत्र आज आईफा के कैंप कार्यालय कोंडागांव में आईफा की राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी को सौंपा है।

निशर्त समर्थन हेतु किसान संगठनों की ओर से डॉक्टर त्रिपाठी ने कांग्रेस कमेटी कोंडागांव को धन्यवाद दिया है। तथा सभी किसानों से अपील की है कि भारत बंद के दरमियान किसी भी भांति की हिंसा, अनुशासन हीनता,असंयम, दुर्व्यवहार की स्थिति कदापि नहीं आनी चाहिए। आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक एवं गांधीवादी तरीके से हो, तथा कानून को हाथ में लेने से हर हाल में बचें। स्कूली बच्चों चिकित्सा संबंधी तथा अन्य अनिवार्य सेवाएं बाधित न होने पाएं।

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