दिल्ली हिंसा पर पुलिस को फटकार लगाने वाले हाईकोर्ट के जज का ट्रांसफर, हाशिमपुरा नरसंहार और 1984 सिख दंगा केस में सुना चुके हैं सजा
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने जस्टिस मुरलीधर को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज पद संभालने का निर्देश दिया है.;
दिल्ली हिंसा को लेकर बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर का ट्रांसफर हो गया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में उन्हें पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया गया है.
दरअसल, जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम ने 12 फरवरी को ही सिफारिश की थी. जो नोटिफिकेशन जारी हुआ है उसमें कहा गया है कि सीजेआई एस. ए. बोबडे की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया जाता है.
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने जस्टिस मुरलीधर को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज पद संभालने का निर्देश दिया है.
Supreme Court Collegium, in its meeting held on February 12 (Wednesday) had recommended the transfer of Delhi High Court judge, Justice S Muralidhar to Punjab and Haryana High Court. https://t.co/lJBTbxYaqe
— ANI (@ANI) February 26, 2020
बता दें कि सीजेआई की अगुआई वाले सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम ने 12 फरवरी को हुई अपनी बैठक में जस्टिस मुरलीधर को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी. गौरतलब है कि SC कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार को आपत्ति हो तो वह दोबारा विचार का अनुरोध कर सकती है, लेकिन अस्वीकार नहीं कर सकती.
बुधवार को जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की डिविजन बेंच ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों की तरफ से एक्शन लेने में देरी पर चिंता जताई थी. इस हिंसा में अबतक 43 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 200 लोग जख्मी हैं.
जस्टिस मुरलीधर के करियर की बात करें तो उन्होंने 29 मई 2006 को दिल्ली हाई कोर्ट में जज का पद संभाला था. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का जज रहते कई बड़े फैसले सुनाए. आईपीसी की धारा 377 को गैरआपराधिक घोषित करने वाले ऐतिहासिक फैसला जिस बैंच ने सुनाया था जस्टिस मुरलीधर उसका भी हिस्सा थे.
वहीं, दो बड़े फैसले भी हैं जिनमें
2018: 1984 सिख दंगा केस में कांग्रेस MP #सज्जनकुमार को दोषी ठहराया, उम्र कैद की सजा सुनाई
2018: UP के हाशिमपुरा नरसंहार के दोषी #PAC जवानों को सजा
दिल्ली होईकोर्ट के जज रहे एस मुरलीधर का तबादला किए जाने के विरोध में गुरुवार को अदालत में वकील काम पर नहीं पहुंचे. होईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी जज के स्थानांतरण पर हैरानी जताई थी.
एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य वकील नागेंद्र बेनीपाल ने कहा, 'बार के सभी सदस्यों ने प्रदर्शन में सहयोग किया क्योंकि जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है और हमारी संस्था की गरिमा दांव पर है.' बार एसोसिएशन ने बुधवार को कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों से गुरुवार को विरोधस्वरूप काम पर नहीं आने का अनुरोध किया था.
दिल्ली हिंसा मामले में की थी सख्त टिप्पणी
बता दें कि जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर जज अपने आखिरी दिन दिल्ली हिंसा के मामले में बेहद सख्त टिप्पणी की थी. जस्टिस मुरलीधर ने 26 फरवरी की रात 12:30 बजे अपने घर पर सुनवाई की थी. जस्टिस मुरलीधर और तलवंत सिंह की बेंच ने तब पुलिस को हिंसा प्रभावित मुस्तफबाद स्थित अल-हिंद अस्पताल में 25 फरवरी की शाम 4 बजे से फंसे घायलों को दूसरे अस्पताल ट्रांसफर के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था. वहीं अगले दिन जस्टिस मुरलीधर ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली तथा केंद्र सरकार को हिंसा पीड़ितों की मदद का निर्देश दिया था और कहा था, 'इस कोर्ट के रहते हुए दिल्ली में 1984 जैसे हालात दोबारा नहीं होने दिए जाएंगे.' वहीं इस बेंच ने दिल्ली पुलिस को बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था.