शाहीन बाग बंद रास्ते पर प्रदर्शनकारियों और वार्ताकारों की बातचीत समाप्त,जानें क्या निकला सामाधान, एक क्लिक में

Update: 2020-02-19 12:21 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए वार्ताकर आज शाहीन बाग पहुंचे थे, मध्यस्थता के लिए तय किए गए संजय हेगड़े अपनी टीम के साथ शाहीन बाग पहुंच चुके थे। वार्ताकारों की टीम में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के अलावा वजाहत हबीबुल्ला और साधना रामचंद्रन भी शामिल थी। पैनल में शामिल वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, वजाहत हबीबुल्ला और साधना रामचंद्रन ने एक सर्वमान्य हल के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया है।

प्रदर्शनकारियों और मध्यस्थों के बीच हुई बातचीत किसी नतीजे पर नहीं निकली. मध्यस्थों ने कहा है कि वे रविवार तक बातचीत जारी रखेंगे. साधना रामचंद्रन ने कहा, "हम गुरुवार को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए फिर आएंगे."

इससे पहले संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. संजय हेगड़े ने कहा कि, 'हम आपकी बात सुनने आए हैं. मध्यस्थ मीडिया के सामने बातचीत नहीं करेंगे. मध्यस्थों ने मीडिया को धरना स्थल से हटा दिया है. वार्ता के बाद मीडिया को जानकारी दे दी जाएगी. वहीं प्रदर्शनकारी, मीडिया के सामने बातचीत करना चाहते हैं. प्रदर्शनकारियों ने तीसरे मध्यस्थ वजाहत हबीबुल्लाह को बुलाने की मांग की है.

प्रदर्शनकारियों को साधना रामचंद्रन का आश्वासन

-शाहीन बाग पहुंचकर मंच से लोगों को संबोधित करते हुए संजय हेगड़े ने कहा कि हम सबको सुनने आए हैं। एक-एक कर बात रखेंगे तो सबकी बात सुन पाएंगे। एक साथ बोलने पर किसी की बात समझ नहीं आएगी। संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढकर समझाया। उनके बाद साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संक्षिप्त में उस आदेश के बारे में बताया।

-साधना रामचंद्रन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन करने का आपका हक है। इस पर सुनवाई होगी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपका आंदोलन करने का हक छिन जाए।

-उन्होंने कहा कि आंदोलन का हक बरकरार रहना चाहिए, लेकिन हम सब की तरह और भी नागरिक हैं जिनके हक हैं। जिनकी दुकान है उनका हक है दुकान तक पहुंचना। हक वहीं तक होना चाहिए जहां तक दूसरे का हक प्रभावित न हो।

आप को जानकारी के लिए बता दें कि दक्षिण-पूर्व दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर 2019 से संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ महिलाओं और बच्चों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है.

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