निर्भया केस: दोषियों को फांसी कब होगी आज HC ने सुनाया अपना फैसला

पटियाला हाउस कोर्ट से दो बार डेथ वारंट जारी होने के बाद भी चारों दोषियों की फांसी दो बार (21 जनवरी और 1 फरवरी) टल चुकी है.

Update: 2020-02-05 09:25 GMT

निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चारों दोषियों के खिलाफ अलग-अलग डेथ वारंट नहीं जारी किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी 4 दोषियों को एक हफ्ते का समय दिया है, ताकि वे सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर सकें। एक हफ्ते बाद मौत के वारंट के क्रियान्वयन के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि निर्भया के दोषियों को अब जल्द ही फांसी मिल सकेगी।

केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है. जिन दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, उन्हें फांसी पर लटकाया जा सकता है. बता दें कि दोषी खुद को बचाने के लिए अलग-अलग दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर कर रहे हैं. लीगल रेमिडीज़ के नाम पर देरी कर रहे हैं. ये केवल डिले टैक्टिक्स है और कुछ नहीं.

बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से दो बार डेथ वारंट जारी होने के बाद भी चारों दोषियों की फांसी दो बार (21 जनवरी और 1 फरवरी) टल चुकी है. दोषियों के वकील एपी सिंह के सुझाए कानूनी दांव-पेंच की वजह से दोनों बार उनकी फांसी की सजा टल चुकी है।

लंबित याचिकाओं की वजह से डेथ वारंट भी पटियाला हाउस कोर्ट को रोकना पड़ा है1 फरवरी को इन चारों को फांसी देने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट जारी कर चुका था. विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते पटियाला हाउस कोर्ट को डेथ वारंट को रोकना पड़ा था.

बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की एक पैरामेडिक स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी थी. दोनों फिल्म देखकर घर लौटने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान वो वहां से गुजर रहे एक प्राइवेट बस में सवार हो गए. इस चलती बस में एक नाबालिग समेत छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट और गैंगरेप किया था. इसके बाद उन्होंने पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था. बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था. यहां 29 दिसंबर, 2012 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम 'निर्भया' दिया गया था.

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