निर्भया गैंगरेप: कानूनी दाव पेच में फंसा फांसी, दोषी विनय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया क्यूरेटिव पिटीशन

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी,

Update: 2020-01-09 06:03 GMT

निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय कुमार शर्मा ने फांसी की सजा के खिलाफ एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 2012 दिल्ली निर्भया गैंगरेप केस के दोषी विनय कुमार शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की है। दरअसल, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस के सभी गुनहगारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया है और फांसी की सजा की तारीख मुकर्रर कर दी है।

पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों के लिए फांसी की तारीख 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तय करने के बाद डेथ वॉरंट जारी कर दिया था. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे. डेथ वॉरेंट जारी करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट इस फैसले को चुनौती देने के लिए चारों को 7 दिन का वक्त दिया था।

क्यूरेटिव पिटीशन पर वकील एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 5 सीनियर मोस्ट जज सुनवाई करेंगे. इस केस को लेकर शुरू से ही मीडिया, जनता और राजनीतिक दबाव था. इस केस की जांच निष्पक्षता के साथ नहीं की गई.

दोषियों के पास कई और विकल्प

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी, लेकिन डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी कई तरह की कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिसके जरिए निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी की तारीख आगे बढ़वाने की कोशिश कर सकते हैं।

4 दोषियों में से एक दोषी विनय कुमार शर्मा की ओर से आज क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किए जाने के बाद अगर सुप्रीम कोर्ट इस पिटीशन पर सुनवाई करता है और 14 दिनों के भीतर इस पर फैसला नहीं आता तो फांसी की तारीख आगे बढ़ सकती है.

क्यूरेटिव पिटीशन के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भी इन दोषियों की दया याचिका लंबित है. अगर राष्ट्रपति इन दोषियों की दया याचिका पर 14 दिनों में फैसला नहीं लेते तो भी फांसी की तारीख आगे खिसक सकती है. मर्सी पिटीशन यानी दया याचिका का इस्तेमाल तो इनमें से एक को छोड़कर बाकी तीन ने अभी तक किया ही नहीं है.

क्या है क्यूरेटिव पिटीशन

क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) पुनर्विचार याचिका से थोड़ा अलग होता है. इसमें फैसले की जगह पूरे केस में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित किया जाता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

बतादें कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में छह लोगों ने 23 वर्षीय एक छात्रा से गैंगरेप किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था. इस छात्रा को निर्भया नाम दिया गया, जिसने अपनी चोट के चलते सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसंबर को दम तोड़ दिया.

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