कोविड की बर्बादी के ज़िम्मेदार पीएम - रामचंद्र गुहा

रामचंद गुहा ने कोविड के बिगड़ते हालात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार और उन्माद से भरी नेतृत्व स्टाइल और समस्या के साथ गलत सलत छेड़छाड़ का ज़िम्मेदार बताया है।

Update: 2021-04-21 06:30 GMT

ऐसे समय पर जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन में कोविड से निबटने के लिए राज्य सरकारों सहित दूसरी तमाम एजेंसियों पर ज़िम्मेदरी का ठीकरा फोड़ा है तभी देश के आधुनिक इतिहास के लिए सारी दुनिया में प्रख्यात रामचंद गुहा ने कोविड के बिगड़ते हालात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार और उन्माद से भरी नेतृत्व स्टाइल और समस्या के साथ गलत सलत छेड़छाड़ का ज़िम्मेदार बताया है।

'दि वायर' के लिए वरिष्ठ पत्रकार कारन थापर को दिए गए अपने एक लम्बे और आक्रामक इंटरव्यू में श्री गुहा ने मोदी की खुशामदी केबिनेट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट सहित देश की प्रमुख संस्थाओं को भी देश के रसातल में जाने का ज़िम्मेदर ठहराया है। उनका कहना है कि यद्यपि पीएम के इर्द गिर्द जमा जी हुज़ूरी वाले अधिकारी और नौकरशाह भी इन बिगड़ते हालात के लिए ज़िम्मेदार हैं लेकिन इन सारी स्थितियों के तबाहकुंन हो जाने की मुख्य ज़िम्मेदारी पीएम के कन्धों पर आती है।

एक सवाल के जवाब में श्री गुहा ने कहा कि कोविड के बिगड़ते हालात के लिए जिन लक्षणों की बात आज वह कर रहे हैं वे सरासर झूठ है। उदाहरण के तौर पर पहला विद्वानों और विशेषज्ञों को इसका ज़िम्मेदार बताना। सच्चाई यह है कि वह उन पर गहरा अविश्वास करते हैं। "उन्हें शिक्षा की अवमानना करने का ख़ब्त है। उनका यह कहना कि वह हॉर्वर्ड से ज़्यादा परिश्रम करना पसंद करते हैं, उनके इस गुण को दर्शाता है। वह स्वयं कह चुके हैं कि उन्हें विशेषज्ञ पसंद नहीं। वह सिर्फ उन्हीं विशेषज्ञों की राय लेते हैं जो वैसा कहें जैसा सुनना उन्हें पसंद है। कोविड 19 का हश्र इतना बुरा नहीं होता यदि प्रधानमंत्री शानदार और नाटकीय बखान करने की जगह अपनी नीतियों को भारत के प्रमुख महामारी विशेषज्ञों की राय पर आधारित बनाते।" 5 अप्रैल 2020 को बजने वाली थाली और 9 मिनट के लिए बत्ती बुझाकर मोमबत्ती जलाने की घटना को इतिहास विशेषज्ञ "शुद्ध जूजू और ढकोसला" मानते हैं।

श्री गुहा के अनुसार इस महाविनाश का दूसरा लक्षण है उनके व्यक्तित्व की ऐंठन (पर्सनालिटी कल्ट)। "मोदी हर बात का क्रेडिट खुद लूटना चाहते हैं। वह पिछली सरकारों के हर अच्छे कामों को नकारते हैं। जहाँ तक उनकी अपनी सरकार की खामियों का सवाल है, वह इसके लिए राज्य सरकारों और विपक्ष को ज़िम्मेदार बताते हैं। गलतियों की जवाबदेही के लिए उनके केबिनेट सदस्यों को आगे कर दिया जाता है। जो अच्छा होता है, उसकी वाहवाही लूटने मोदी जी स्वयं आगे आ जाते हैं।"

रामचंद्र गुहा आगे कहते हैं कि मोदी चारों ओर जी हुज़ूरी करने वाले वफादार नौकरशाहों से घिरे हैं। अनेक योग्य आईएएस अधिकारियों को उखाड़ फेंका गया जो बुद्धिमान थे और जिनकी योग्यता पीएम को मात देती लगती थी। "मोदी अपने अहंकार और आत्मप्रशंसा के ख़ब्त में डूबे हुए हैं। वह अपने ही इश्क़ में गिरफ्तार व्यक्ति हैं।"

'दि वायर' में कारन थापर के साथ चली लम्बी और दिलचस्प बातचीत में गुहा तीसरे लक्षण के रूप में मोदी का "संकुचित ह्रदय वाला संघी" होना बताते हैं। वह कहते हैं कि इन दोनों कारणों का ही परिणाम था पश्चिम बंगाल का शुद्ध सांप्रदायिक चुनाव अभियान और यह जानने के बावजूद कि इससे ज़बरदस्त वायरस फैलेगा, उनका भारी भीड़ भाड़ वाले कुम्भ के शाही स्नान की इजाज़त देना। गत वर्ष के तबलीगी जमात पर हुए मोदी सरकार के प्रत्याक्रमण के साथ लाखों हिन्दुओं के सामूहिक गंगा स्नान की तुलना करते हुए गुहा कहते हैं कि पीएम की चुप्पी और सहमति के चलते ही यह सब संभव हो सका। आने वाले दिनों में इसके ज़बरदस्त परिणाम अभी दिखने शेष हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बारे में पूछे जाने पर श्री गुहा ने कहा कि महामारी की शुरुआत के समय से ही उनके दो मुख्य सरोकार थे - कैसे बंगाल का चुनाव जीता जाय और कैसे महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करके वहां अपनी सरकार की स्थापना की जाय।

श्री गुहा कहते हैं कि न सिर्फ कोविड से होने वाली बर्बादी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार हैं बल्कि "अच्छे दिन" की जगह अर्थ व्यवस्था, समाज और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बिगड़ी देश की इमेज के "बुरे दिनों" के लिए भी वही ज़िम्मेदर हैं।

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