शाहीन बाग: रास्ता खुलवाने के लिए कोर्ट पहुंचे बोर्ड के छात्र, तो दिल्ली HC ने दिया पुलिस को दखल देने का निर्देश

Update: 2020-01-18 08:14 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन एक महिने से अधिक हो चला है फिर भी इसका कोई सामाधआन नही निकला तो एक ओर जहां ये प्रदर्शन पूरे देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के लिए मिसाल बन रहा है, वहीं इसकी वजह से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी को लेकर 35 छात्रों ने हाईकोर्ट में शाहीन बाग प्रदर्शन के खिलाफ याचिका डाली है। याचिका में कहा गया है कि इस रास्ते पर कई स्कूल, कॉलेज और इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट संस्थान जैसे एमिटी, गलगोटिया स्थित हैं और इनमें पढ़ने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बच्चों की इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि कालिंदी कुंज-शाहीन बाग का जो रास्ता बंद है, पुलिस उस पर ध्यान देकर एक्शन ले ताकि छात्रों को परेशानी न हो। जस्टिस नवीन चावला ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि सरिता विहार रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बातों पर गौर करे और उसका समाधान करें।

अदालत ने कहा कि पुलिस को निर्देश दिया है कि सभी जरूरी कदम उठाए, जिससे रोड नंबर 13 पर वाहनों का आवागमन सुचारू से शुरू हो सके, जो सरिता विहार, जसोला से कालिंदी कुंज होते हुए नोएडा और दिल्ली जाने वाला रास्ता है।

दिल्ली पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैडल से एक ट्वीट भी किया. ट्वीट में कहा गया, ''हम रोड नंबर 13 A शाहीन बाग पर आंदोलनकारियों से अपील करते हैं कि वे उन दिक्कतों को समझें जो रोड बंद होने की वजह से दिल्ली और एनसीआर के लोगों, सीनियर सिटिजन्स, इमरजेंसी मरीज और स्कूल जाने वाले बच्चों को हो रही है. यह मामला हाई कोर्ट के सामने भी आ चुका है. हम एक बार फिर प्रदर्शनकारियों से सहयोग करने और लोगों के हितों को देखते हुए रोड को क्लियर करने का अनुरोध करते हैं.'

बता दें कि 14 जनवरी मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में शाहीन बाग सड़क खाली कराने को लेकर एक याचिका पर सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस पर फैसला छोड़ दिया. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वो जनहित को ध्यान में रखकर कार्रवाई करें. शाहीन बाग में महिलाओं के साथ उनके बच्चे में प्रदर्शन में मौजूद रहते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद पुलिस ने लोगों से बात की थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है.

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