इस बड़े न्यूज़ चैनल का पकड़ा गया झूठ, फ़िल्म निर्देशक ने उठाया ये बड़ा क़दम....

देश के सबसे बड़े चैनल के जर्नलिस्ट के झूठे रिव्यू पर फ़िल्म डायरेक्टर ने करारा जवाब दिया है

Update: 2020-02-03 10:12 GMT

आज तक की पत्रकार हंसा कोरंगा ने फ़िल्म Gulmakai का रिव्यू किया था. जिसका जवाब फ़िल्म के निर्देशक एच ई अमजद खान दे रहे हैं .

मैं समझ सकता हूँ इस फ़िल्म से आपको बोरियत हुई है अलग अलग लोगों की ख़ुशी और सुकून का ज़रिया अलग होता है लेकिन आपने अपने मानसिक तनाव को दूसरो पर थोपने की कोशिश की और उम्मीद किया कि दर्शको को भी बोरियत हो और फ़िल्म ना देखने ना जाएँ,आपको कैसे लगा की बाक़ियों को भी ये फ़िल्म बोर लगेगी.




 आपके क्रिटीसाइज़ करने का तरीक़ा निहायत ही अशिक्षित और अपमानजनक है मुझे नही पता आप किस तरह की कहानी और निर्देशन की उम्मीद लगा कर आयी थीं लेकिन जब मैंने मलाला और उसकी फ़ैमिली को फ़िल्म दिखाया और उनके फ़ैमिली के साथ साथ यूनाइटेड नेशन का भी मुझे सपोर्ट मिला तो घिसा पिटा बॉलीवुड मूवी बनाने का और आप जैसे लोगों को ख़ुश करने का शौक़ मेरे मन से पूरी तरह से निकल गया और मुझे लगा की मैंने जो बनाया सही बनाया है.

आप बहुत निराश हैं कि फ़िल्म में दर्शाए गए एक ख़ास दहशतगर्द की दाढ़ी का रंग गाजर के रंग कैसा क्यूँ है?

आपको नही लगा की आप एक बार गूगल सर्च कर लें उस आतंकी का नाम सूफ़ी मुहम्मद है जो अपने सफ़ेद बाल मेंहदी से रंगा करता था,मुस्लिम कट्टरवादियों की ये बहुत पुरानी शौक़ है.

2005 में जब उसको पाकिस्तानी आर्मी ने गिरफ़्तार किया था तब उसके बाल और दाढ़ी बिलकुल सफ़ेद थे 2007 में जब वो छूटा तब अपने बाल और दाढ़ी रंगा कर आया था तो ज़ाहिर से बात है की 2007 की कहानी में मै 2005 के सूफ़ी मुहम्मद को दिखा नही सकता.




 समय और साल के साथ जो supers नीचे आते रहे आपको उनपर ग़ौर करना चाहिए था.

आपको ये समझ नही आया की मेरे फ़िल्म में दिखाए गए एक ग्यारह साल की लाचार लड़की कैसे आज पूरी दुनिया को इन्स्पाइअर कर सकती है.

लेकिन सच तो ये है उसकी उस मानसिक तनाव और डर को जीतते हुए वो किस तरह से फ़ीनिक्स पंछी की तरह फिर से वापस आती है और मलाला यूसुफ़ज़ई बनती है जो आप समझ नही पायीं..ख़ैर..इतनी गहरी सोच और विचार की उम्मीद मैं आपसे नही करता ।

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