कॉन्डम के बारे ये 7 बातें नहीं जानते होंगे आप? पढ़कर चौंक जाएंगे?
400 ईस्वी से पहले ग्लैंस कॉन्डम्स का इस्तेमाल किया जाता था?
एक रिसर्च में पता चला है कि प्राचीन काल में भी कॉन्डम का इस्तेमाल होता था. गुफाओं में बनी पेंटिंग्स में सेक्स के दौरान लिंग को कवर करने का प्रमाण मिला है. हां, अलबत्ता यह पता नहीं चल पाया है कि इसको बनाने के लिए किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता था. एक समय था जब लिनिन के टुकड़ों को आपस में सिलकर कॉन्डम बनाया जाता था. इस तरह बने कॉन्डम या तो पूरे लिंग को कवर लेते थे या फिर सिर्फ ऊपरी हिस्से को...
400 ईस्वी से पहले ग्लैंस कॉन्डम्स का इस्तेमाल किया जाता था जिससे लिंग का ऊपरी हिस्सा ही कवर हो पाता था. उसके लिए जानवरों के सींग या कछुए की खोल का इस्तेमाल होता था.
कॉन्डम के लिए 1400 ईस्वी से फिर से लिनिन का इस्तेमाल होने लगा और 1700 ईस्वी तक इसी का इस्तेमाल होता रहा. पुनर्जागरण के दौरान कॉन्डम बनाने के लिए लिनिन या बकरी की आंत या फिर उनके ब्लैडर्स का इस्तेमाल होता था.
1700 ईस्वी में कॉन्डम की क्वॉलिटी चेक करने का काम कैसनोवा करते थे. वह कॉन्डम में हवा भरते थे और फिर चेक करते थे कि कहीं कोई सुराख तो नहीं रह गया है.
रबड़ से बने पहले कॉन्डम की मोटाई साइकिल के अंदरुनी ट्यूब जितनी थी. 1897 में एक कॉन्डम निर्माता कंपनी ने अपने लेबल्स पर क्वीन विक्टोरिया का चेहरा छापा था.