गाजर की पौष्टिक कढ़ी इस तरह बनाएं, विटामिन A. C. K.और पोटेशियम, आयरन, बीटा कैरोटीन से रहेंगे भरपूर

Update: 2022-12-08 11:47 GMT

हमारी 90 प्लस महिलाएं बच्चों को सब्जी़ खिलाने पर बहुत ध्यान देतीं हैं। मसलन जो बच्चे गाजर की सब्जी नहीं खाते, उनके लिए वे गाजर की कढ़ी बना देतीं। विटामिन A. C. K.और पोटेशियम, आयरन, बीटा कैरोटीन से भरपूर गाजरों को छील कर अच्छी तरह धोकर बारीक काट लेते हैं।

जानिए विधि 

खट्टी छाछ(फ्रिज में रखी दो दिन पुरानी, बाहर एक दिन पुरानी) में से थोड़ी सी छाछ लेकर उसमें बेसन डाल कर अच्छी तरह फेंट लेते हैं ताकि कोई बेसन की कोई गांठ न बने। अब इसे बाकि छाछ में मिलाकर स्वादानुसार नमक, हल्दी और गाजर के टुकड़े डाल कर गैस पर चढ़ा कर, गैस की तेज आंच कर देते हैं। इसे लगातार कलछी से चलाते रहना है ताकि छाछ फटे न। उबाल आने पर गैस स्लो कर देनी है। जब उबाल आने बंद हो जाएं और कढ़ी कढ़ने लगे तब उसे बीच बीच में चला दें। कढ़ी को तब तक काढ़ें जब तक गाजर न गल जाए। पतली गाढ़ी आप जैसी पसंद करते हैं बनाएं। गाजर गलने पर तड़का लगायें।

अब तड़का पैन में तेल गर्म कर के उसमें मेथी दाना डालें, मेथी का रंग बदलने पर जीरा, सूखे साबुत धनिये को चकले पर रख कर बेलन से दो टुकड़ो में करके या मोटा कूट कर डालें, कैंची से कटी मोटी मोटी सूखी अखा लाल मिर्च का तड़का लगा कर इस तड़के को कढ़ी में डाल दो। 2 मिनट के बाद गैस बंद कर दो। हैल्दी कढ़ी खाने के लिए तैयार है।

अब फाइनल टच भी दे सकते हैं, तड़का पैन में देसी घी इतना गर्म करें कि जिसमें बिना धुआं छोड़े लाल मिर्च पाउडर ंऔर हींग भुन जाए और थोड़ी सी कसूरी मेथी डाल कर इसे कढ़़ी में डाल दो।

इस कढ़ी के फायदे

वैसे तो इसमें बारीक कटी गाजर डालते हैं। पर मैं बड़े टुकड़े डालती हूं क्योंकि जो गाजर की सब्जी नहीं खाते उनको परोसने से पहले उसमें से गाजर निकाल कर उनकी कढ़ी में रायते की बूंदी डाल देती हूं। उनकी बूंदी कढ़ी में गुणवान गाजर के कुछ तो गुण उनके पेट में भी जाते होंगे। ये सोच कर खुशी मिलती है।

डाइटिंग करने वाले इस फाइबर से भरपूर कढ़ी से ही पेट भरते हैं क्योंकि इसे खाने के बाद बहुत देर तक भूख नहीं लगती। छाछ की खटास और गाजर की मिठास दोनो का मेल बहुत अच्छा लगता है। मैं तो खाते समय इसमें बारीक कटी हरी मिर्च और जरा सा काला नमक मिला कर खाती हूं। खट्टा, मीठा, नमकीन तीखे का ये मेल मुझे तो बहुत पसंद है।

लेखक नीलम भागी 

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