नई दिल्ली
भारत सरकार ने अपनी किस कूटनीति से "पाकिस्तान से फाइटर प्लेन खरीद रहा था श्रीलंका" भारत ने श्रीलंका और पाकिस्तान और चीन की बढती नजदीकियों को फिलहाल रोक दिया है। इस सफलता से भारत को कुछ राहत मिलेगी। क्योंकि ये डील होने के बाद पाक और चीन की श्रीलंका से नजदीकियां बढ़ जाती।
भारत की ओर से सख्त ऐतराज जताने के बाद श्रीलंका ने फौरी तोर पर पाकिस्तान से जेएफ-17 थंडर विमान खरीदने की योजना टाल दी है। द इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी मिली है कि भारत ने कुछ हफ्ते पहले श्रीलंका पर राजनयिक चैनलों से दबाव बनाया और बताया कि उसे आखिर क्यों यह फाइटर प्लेन नहीं खरीदना चाहिए। भारत ने न केवल इस प्लेन के नकारात्मक पहलुओं के बारे में जानकारी दी, बल्कि यह भी कहा कि सैन्य जरूरतों के हिसाब से श्रीलंका को इस तरह के फाइटर प्लेन्स की जरूरत नहीं है।
मेंटनेंस और ट्रेनिंग के कारण चीन और पाक से बढती नजदीकियां
भारत ने श्रीलंका को बताया कि जेएफ-17 के रशियन इंजन बेस्ट नहीं हैं। जहां तक चीन की बात है तो वह खुद भी इसका प्रयोग नहीं करता है। भारत को डर था कि अगर यह डील हुई तो चीन या पाकिस्तान को श्रीलंका में मेंटनेंस और ट्रेनिंग के लिए जमने का मौका मिल जाता। इससे, श्रीलंका की चीनी या पाकिस्तानी फौज से और ज्यादा नजदीकी बढ़ जाती।
पीएम नवाज शरीफ की तीन दिवसीय श्रीलंका दौरे के मद्देनजर पाकिस्तानी मीडिया में यह खबर थी कि दोनों देशों के बीच जेएफ 17 लड़ाकू विमानों को लेकर करार होने वाला है। श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच कथित तौर पर 400 मिलियन डॉलर में यह डील होनी थी। खुद आर्थिक बदहाली से जूझते पाकिस्तान इस एयरक्राफ्ट के लिए श्रीलंका को लाइन ऑफ क्रेडिट जारी रखने के लिए कथित तौर पर तैयार था। मंगलवार को शरीफ और श्रीलंका के राष्ट्रपति एम सीरीसेना ने कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन इनमें एयरक्राफ्ट की खरीद-फरोख्त की डील शामिल नहीं है।
किस कुटनीति से भारत रुकवा पाया ये डील
तीन हफ्ते पहले भारत सरकार की ओर से कुछ ऑफ रिकॉर्ड संदेश बिना लेटरहेड या सिग्नेचर वाले सफेद कागज पर श्रीलंका के टॉप अधिकारियों तक पहुंचाए गए। इससे पहले, रिपोर्ट आई थी कि पाकिस्तान चीन की मदद से बन रहे जेएफ 17 को श्रीलंका के एयरफोर्स को देने के लिए गंभीर है। अगर ऐसा होता तो जेएफ 17 श्रीलंका के पुराने पड़ चुके इजराइली केफिर्स या मिग 27 विमानों की जगह लेता। पाकिस्तान श्रीलंका को 10 से 12 प्लेन बेचना चाहता था। हर प्लेन की कीमत करीब 35 मिलियन डॉलर थी। भारत ने श्रीलंका को समझाया कि उग्रवादी संगठन लिट्टे के खिलाफ जंग खत्म हुए कई साल हो चुके हैं और उसकी सेना को इस तरह के एयरक्राफ्ट की जरूरत नहीं है। श्रीलंकाई सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यह भी समझाया कि जेएफ 17 में लगे रशियन इंजन बहुत अच्छे नहीं हैं और यहां तक चीन भी खुद इन प्लेन्स का इस्तेमाल नहीं करता। यह भी खबरें आईं कि भारत ने श्रीलंका को अपना तेजस विमान देने की पेशकश की थी। हालांकि, जंग के खत्म होने के बाद से श्रीलंका ने रक्षा क्षेत्र में अपना बजट लगातार बढ़ाया है। सिर्फ 2016 में ही श्रीलंका करीब 3 बिलियन डॉलर खर्च करेगा।