कर्नाटक के स्कूल में पढ़ाया जाएगा बाइबिल, हिंदूवादी संगठन ने किया विरोध

कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पूरी तरह से थमा नहीं है कि अब यहां नया विवाद आ खड़ा हुआ है।

Update: 2022-04-25 10:13 GMT

कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पूरी तरह से थमा नहीं है कि अब यहां नया विवाद आ खड़ा हुआ है। बता दें कि कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) के बाद अब बाइबिल विवाद (Bible Controversy) शुरू हो गया है। बेंगलुरु (Bengaluru) के एक स्कूल ने अभिभावकों से पूछा है कि यदि बच्चे स्कूल में बाइबिल लेकर आएं तो उन्हने एतराज तो नहीं हैं। अभिभावकों की चाहे जो राय हो लेकिन उससे पहले ही दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठन ने इस पर कड़ा एतराज जताया है।

बात दें कि कर्नाटका के बेंगलुरु के एक निजी स्कूल 'क्लियरेंस हाई स्कूल' ने बच्चों के अभिभावकों से यह लिखित में लिया है कि यदि बच्चे पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल लेकर कक्षा में आएं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। बता दें कि अब स्कूल के इस कदम का हिंदू जनजागरण समिति ने कड़ा विरोध किया है।

बता दें कि इस स्कूल में बाइबिल पढ़ाए जाने के विरोध में हिंदू जान जागरण समिति ने विरोध शुरू कर दिया है। संगठन के प्रवक्ता मोहन गौड़ा का कहना है कि इस तरह से स्कूल गैर हिंदू विद्यार्थियों को ईसाई समुदाय का सर्वोच्च धर्मग्रंथ पढ़ने के लिए बाध्य कर रहा है। उधर, स्कूल प्रबंधन ने अपने कदम का बचाव किया है। उसका कहना है कि स्कूल बाइबिल आधारित शिक्षा प्रदान करता है।

बता दें कि उक्त स्कूल में कक्षा 11 वीं में प्रवेश के फार्म में अभिभावकों से एक घोषणा पत्र पर साइन करने को कहा गया है। इसमें लिखा है कि 'आपका बच्चा अपने स्वयं के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए सुबह की प्रार्थना सभा और क्लब सहित सभी कक्षाओं में भाग लेगा और बाइबिल व भजन पुस्तिका उसके पास रखने पर आपको कोई आपत्ति नहीं है।'

बता दें कि इस पर हिंदूवादी संगठन ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि इस स्कूल में गैर ईसाई बच्चे भी पढ़ते हैं। उन्हें स्कूल द्वारा बाइबिल पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है। बात दें कि हाल ही में कर्नाटक सरकारी ने स्कूलों में भगतगीता पढ़ाने की योजना का एलान किया है। इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार हो रहा है। कर्नाटक में बाइबिल के पूर्व हिजाब विवाद गरमाया हुआ है। इसे लेकर उग्र विरोध व संघर्ष तक हो चुके हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। कई छात्राएं अब भी परीक्षा देने के लिए स्कूल कॉलेजों में परीक्षा देने जा रही हैं।

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