अब बीजेपी के सामने भी कर्नाटक में है ये संकट, या फिर करें इंतजार?

Update: 2019-07-25 12:32 GMT

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित नहीं कर सकी। इसके बाद एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टी नेता मनाने पर भी नहीं मानें। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में सत्ता पक्ष के समर्थन में 99 वोट पड़े तो वहीं विपक्ष को 105 मिले। गठबंधन सरकार के बहुमत साबित न करने के बाद विपक्ष के बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को विधायकों ने बधाई दी।

लेकिन क्या वह दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे? 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया। येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सके और उन्हें मुख्यमंत्री पद का त्याग करना पड़ा।

माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान उन्हें एकबार फिर इस पद के लिए चुनेगा। लेकिन बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं जितनी समझी जा रही है। क्योंकि अभी बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्य ठहराए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और साथ ही स्पीकर केआर रमेश कुमार ने भी अभीतक इसी पर अपना फैसला नहीं लिया है। स्पीकर के देरी करने पर बागी विधायक चिंता में हैं।

उपचुनाव: मान जा रहा है कि बीजेपी फिलहाल किसी तरह की जल्दी में नहीं दिख रही। बीजेपी उपचुनाव तक इंतजार कर सकती है। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी है क्योंकि इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा। पार्टी को उपचुनाव में 8 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। इस तरह 224 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी बहुमत हासिल कर लेगी।

एक विकल्प यह है भी है कि राज्यपाल वाजुभाई वाला विधानसभा को भंग करने की बजाय राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करें। स्पीकर के बागी विधायकों पर फैसला लेने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। क्योंकि बीजेपी ऐसी स्थिति में सरकार बनाना का दावा पेश नहीं करेगी।

मंत्री पद 34, बागियों समेत 56 विधायक दावेदार

कर्नाटक में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। भाजपा नेता जगदीश शेट्टार और अरविंद लिम्बावली समेत वरिष्ठ नेता अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। सरकार बनाने पर अंतिम फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा। इस बीच, भावी मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल का गठन सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 बागियों समेत 56 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 3 या इससे ज्यादा चुनाव जीते हैं। इन सभी को उम्मीद है कि नई सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या फिर बड़ा रोल। लेकिन, कर्नाटक में मुख्यमंत्री समेत केवल 34 पद स्वीकृत हैं। बताया जा रहा है कि येदि बागियों समेत इन वरिष्ठों को भी नाराज करना नहीं चाहते।

केंद्रीय नेतृत्व की सलाह पर फैसले लिए जाएंगे

बीएस येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, पार्टी उनके नाम के ऐलान को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है। अरविंद लिम्बावली ने कहा कि आपने कर्नाटक के हालात देखे हैं। नई सरकार बननी है, इसके लिए हम अपने राष्ट्रीय प्रतिनिधियों से चर्चा करनी है। उनकी सलाह से आगे फैसले लिए जाएंगे। पार्टी किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। येदियुरप्पा भी कह चुके हैं कि वह केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार को वे बेंगलुरु के संघ कार्यालय पहुंचे और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद लिया।

क्या बागियों के इस्तीफे पर फैसले को लेकर देरी हो रही?

प्रतिनिधिमंडल से पूछा गया कि क्या भाजपा 15 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला आने का इंतजार कर रही है। इसलिए सरकार के गठन में देरी हो रही है? इस पर लिम्बावली ने कहा कि अभी तो यह कोई मुद्दा नहीं है, आगे हो भी सकता है। हम सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, इसमें कोई दोराहे नहीं। लेकिन वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी में कुछ देरी हो सकती है। इस्तीफा देने वाले कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायक मुंबई में ठहरे हैं। सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार बनने के बाद ही वे बेंगलुरु लौटेंगे।

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