वकील अहमद
शिक्षा ही जीवन है. अशिक्षित होना अभिशाप के समान है. कुछ बच्चों के लिए इस अभिशाप का कारण उनके माता-पिता ही बन जाते हैं. घर में मुखिया के अशिक्षित होने से शिक्षा के प्रति बच्चों की रुचि कम हो जाती है. दूसरी ओर बड़े परिवार के कारण भी बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ता है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के अनुसार घर में ज़्यादा बच्चे होने के कारण अधिकांश को स्कूल छोड़ना पड़ता है. उन्हें अपने माता पिता का सहयोग करना होता है या छोटे भाई-बहन की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है. अशिक्षित होने से रोजगार की कमी, कम आमदनी वाला काम तथा परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति ना होना बड़े कारणों में शामिल है.
घर में शिक्षा का माहौल न रहने से बच्चों का होमवर्क नहीं हो पाता. इससे बच्चे की पढ़ाई बाधित होती है. उसका स्कूल में फेल होना या कम प्रदर्शन करना शिक्षा की ओर से ध्यान हटाता है. धीरे-धीरे ये कारण बच्चे को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर कर देते है
शिक्षा से व्यक्ति सबल बनता है. शिक्षा और व्यवसाय का सीधा संबंध है. कौशल पूर्ण व्यवसाय के लिए शिक्षा अति महत्वपूर्ण है. यह आजीविका को प्रभावित करती है. कौशल के अभाव में कम आमदनी वाला व्यवसाय करना पड़ता है जिससे परिवार का खर्च पूरा नहीं हो पाता. धीरे धीरे परिवार गरीबी में चला जाता है. दयनीय स्थिति में शिक्षा को महंगा समझकर बच्चों का स्कूल छुड़ा देना ध्यान आकर्षित करने वाला विषय है.
बड़े परिवार में सभी बच्चों पर ध्यान दे पाना माता-पिता के लिए संभव नहीं हो पाता. परिवार में कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है. ऐसे में बड़े बच्चों को छोटे भाई-बहन की देखभाल की जिम्मेदारी मिलती है. छोटे-मोटे काम में माता-पिता का सहयोग करना पड़ता है. इससे बच्चों का पढ़ाई की ओर से ध्यान भंग हो जाता है. धीरे धीरे परिवार की आवश्यकताएं बढ़ जाती है. जिनकी पूर्ति के लिए बच्चों को स्कूल छोड़कर अपने उज्जवल भविष्य की आहुति देनी पड़ती है.
ध्यान देने की बात है कि परिवार को छोटा रखकर शिक्षित करने का प्रयास किया जाए. सुखी जीवन के लिए छोटा परिवार और शिक्षा दोनों ही आवश्यक हैं. ऐसे में बच्चों को उनका हक मिल सकेगा और भावी पीढ़ियां स्वस्थ तथा समृद्ध जीवन व्यतीत करेंगी.
(लेखक दिल्ली सरकार में स्पेशल बच्चों के अध्यापक हैं.)