भारत बंद के दौरान जबरन दुकान बंद कराते बीजेपी विधायक का वीडियो वायरल!

दलित आंदोलन में बीजेपी विधायक ने जाकर दुकान बंद कराई, लोंगों के गले नहीं उतरी बात.;

Update: 2018-04-03 02:50 GMT

दो अप्रैल को भारत बंद दलित संगठनों ने बुलाया था लेकिन मध्यप्रदेश के आगर विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक गोपाल परमार जबरन दुकानें बंद कराते नजर आये. गोपाल का यह दुकान बंद कराते हुए वीडियो वायरल हो गया है. 


भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में मध्यप्रदेश में अब तक आठ लोग अपनी जान गंवा चुके है जबकि कई लोग जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे है. इस हिंसा में सरकारी सम्पत्ति का भारी नुकसान हुआ है जबकि कई बसें और सरकारी गाड़ियों जला दी गई है. कई जिलो में कर्फ्यू घोषित किया गया तो कई जगह अघोषित कर्फ्यू के हालात बने हुये है. 


मध्य प्रदेश का आगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 53 साल के आगर ने मिडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने वहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था. अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनके राजनीतिक विरोधी इस हालत का फायदा उठाने के लिए तैयार थे. उन्होंने कहा, "अगर आप इस तरह की स्थिति में फंस जाते हैं तो क्या करते हैं? यदि मैं प्रदर्शनकारियों के साथ नहीं गया होता तो पार्टी यहां अपनी राजनीतिक पकड़ खो देती, क्योंकि मेरे राजनीतिक विरोधी मेरी इस हालत का फायदा उठाने के लिए तैयार थे.



विधायक गोपाल परमार ने कहा कि इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति से आते हैं और वे बंद कराने पर आमदा थे, क्योंकि वे एस/एसटी कानून के प्रावधानों को कथित रूप से कमजोर करने से गुस्से में थे. गोपाल परमार ने कहा कि एमपी में चाहे जो कुछ भी हुआ हो, परमार में बंद शांतिपूर्ण रहा और कोई अनहोनी नहीं हुई. गोपाल परमार से जब वीडियो के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिस दुकानदार को वह उसकी दुकान बंद करवाने को बोल रहे हैं वह ब्राह्मण था और परशुराम सेना का सदस्य था, जबकि प्रदर्शनकारी भीम सेना से जुड़े हुए थे. गोपाल परमार ने कहा, "दुकानदार ने इसे अपने इज्जत से जोड़ लिया और दुकान हर कीमत पर खुला ही रखना चाहता था, अगर मैं वहां नहीं होता तो पता नहीं वहां क्या हो जाता." गोपाल परमार ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों के साथ इसलिए थे क्योंकि वह चाहते थे कि वे किसी तरह की आगजनी, तोड़फोड़ या हिंसा नहीं करें.


इस आंदोलन को दलित संगठन कर रहे थे तो बीजेपी विधायक ने जाकर दुकान क्यों बंद कराइं यह सबसे बड़ा सवाल पैदा होता है? क्या दलित मतों को लेकर यह भी काम होने लगा. 

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