बीजेपी को मध्यप्रदेश में लगेगा इस बड़ी वजह से झटका, कांग्रेस की बन सकती है सरकार

Update: 2018-11-23 04:31 GMT

मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार आखिरी चरण की ओर बढ़ रहा है इस बार एक खास बात जो देखने मे आ रही है कि अब तक मतदाता खामोश बना हुआ है बहुत कड़ी टक्कर है कोई खुल कर नही कह रहा है कि कौन जीतेगा. यहाँ तक कि बीजेपी का निष्ठावान कार्यकर्ता भी जीत को लेकर संशकित है, यह स्थिति बतला रही है कि अंदर ही अंदर सत्ता के विरुद्ध एक अंडर करंट मौजूद हैं ओर वह मतदान के दिन बाहर आएगा और 12 दिसम्बर को ही हमे इसका सही रूप पता चलेगा.

अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए जो 2013 में हुए थे उसमे बीजेपी को 165 सीटें मिली थीं ओर कांग्रेस को सिर्फ 58 सीटें आईं थी. लेकिन यदि वोट शेयर की बात की जाए तो हम देखते हैं कि 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 44.88 फीसदी और कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट मिले थे यानी सिर्फ़ 8 प्रतिशत का ही अंतर था

इस आंकड़े से हमे एक बात समझ आती है कि इस प्रदेश में कांग्रेस का कमिटेड वोटर हमेशा मौजूद रहा है यदि बीजेपी का 4 प्रतिशत वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होता है तो दोनों का वोट शेयर लगभग बराबर हो जाएगा, ओर कोई माने न माने पर एंटी इनकम्बेंसी में ये 4 प्रतिशत का शिफ्टिंग बहुत मामूली बात है. अब एक बात और समझिए मात्र 58 सीट जीतने वाली कांग्रेस के करीब 30 उम्मीदवार ढाई हजार से कम अंतर से भाजपा प्रत्याशियों के हाथों हारे थे इसमे से 11 सीट कांग्रेस एक हजार से कम अंतर से हारी थी यानी उस वक्त भी स्थिति उतनी बुरी नही थी जितनी परिणामो में नजर आती है.

यह बात बहुत महत्वपूर्ण है जिसे सभी राजनीतिक समीक्षक आज इग्नोर कर रहे हैं

अब दूसरी बात समझिए जो केंद्र की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है मोदी को भाजपा ने 2013 में ही प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया था, इसके बाद तीनों राज्यों में उन्होंने प्रचार किया, ओर जिस हिसाब से उन्होंने बाद लोकसभा चुनाव में सीटे हासिल की थी यह उस वक्त उनकी छवि की स्वीकार्यता को दर्शाता था लेकिन आज का परिदृश्य बिल्कुल बदल गया है शायद आपको यह अतिश्योक्ति लगे लेकिन यह सच है कि आज लोग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इतने नाराज नही है जितने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज हैं और शायद इसी बात को भांपकर आखिरी दौर के प्रचार से नरेंद्र मोदी को बाहर रखा गया है और गुजरात और कर्नाटक के चुनाव से भी आधी रैली भी उन्होंने मध्यप्रदेश में प्लान नही की है सुषमा स्वराज की अगला चुनाव न लड़ने की।घोषणा भी बहुत कुछ कहती है

अब रही बात छोटे दलों की तो उनका असर इस बार इतना खास नजर नही आ रहा विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक जरूर है पर उन्हें 4 से 5 सीट से अधिक मिलती नही दिख रही सपाक्स पार्टी ने प्रदेश में 129 प्रत्याशी खड़े किए हैं जो मूलतः बीजेपी का ही वोट काटेंगे आदिवासी युवा शक्ति 'जयस" मालवा निमाड़ से जुड़ी बीजेपी की सीटों में गेम चेंजर साबित होगा इस संगठन का आदिवासी बहुल क्षेत्र (धार, बड़वानी, खरगोन, झाबुआ और आलीराजपुर) में काफी प्रभाव माना जा रहा है, यदि यह वोट कांग्रेस के पक्ष में गया तो बीजेपी की स्थिति और भी बुरी हो जाएगी.

कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो एन्टीइनकबन्सी से उपजा अंडर करंट कांग्रेस को 120+ सीट दिलवा सकता हैं. भाजपा 100 सीट से कम में भी सिमट सकती है.

(लेखक गिरीश मालवीय वरिष्ठ पत्रकार और समीक्षक है)

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