निर्दलीय और क्षेत्रीय दल बिगाड़ेगी जीत हार का खेल, 'हाथी' और 'साइकिल' के सहारे भाजपा एवं कांग्रेस के बागी
पंकज पाराशर छतरपुर
भोपाल। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में मंथन जारी है। जानकारों का कहना है कि इस बार दोनों ही दल इस काम में काफी देरी कर चुके हैं। इधर आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की सबसे पहले घोषणा करके चुनाव प्रचार में उम्मीदवारों को लगा दिया है। लेकिन इन सब के बीच सपा और बसा अभी अपने पूरे प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाए हैं। दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस की लिस्ट का इंतेजार कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक भाजपा और कांग्रेस से जिन उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा उनके लिए अब सपा और बसपा ही सहारा है। खजुराहो में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने भाषण में खुल कर कहा था कि जिन्हें भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलता उनका हम अपनी पार्टी में स्वागत करते हैं और अपने टिकट पर चुनाव में भी उतारेंगे। वहीं, बसपा भी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की लिस्ट का इंतेजार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल सपा और बसपा को उम्मीदवारों की तलाश है।
चुनाव में डूबते को तिनके का सहारा
सबने ये कहावत सुनी है, डूबते को तिनके का सहारे की जरूरत होती है। ऐसे में जो दावेदार अपने टिकट को लेकर अश्वस्त हैं, और पार्टी से उन्हें अगर टिकट नहीं मिलता है तो उस स्थिति में तो सपा और बसपा ऐसे दावेदारों के लिए डूबते को तिनके का सहारा साबित होगी। बगावत के बाद ये दावेदार कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकते हैं। वहीं, सपाक्स जैसे दल ने भी ऐसे दावेदारों पर निगाहें लगा रखी हैं। ये दल भले जीत हासिल करने में नाकाम साबित हों लेकिन इनका वोट प्रतिशत काफी बढ़ा है जो प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को हराने और जिताने के लिए काफी है।