मध्यप्रदेश: शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में '33' का फंस का फंसा फेर , कांग्रेस के नेता ने की राष्ट्रपति से शिकायत

शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट के गठन के बाद कांग्रेस ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया है जो बीजेपी के लिए मुश्किल बन सकता है. कांग्रेस नेता ने राकेश सिंह ने कहा है कि 33 कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं जबकि विधानसभा में 206 सदस्य हैं.

Update: 2020-07-07 08:39 GMT

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट के गठन के बाद कांग्रेस ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया है जो बीजेपी के लिए मुश्किल बन सकता है. कांग्रेस नेता ने राकेश सिंह ने कहा है कि 33 कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं जबकि विधानसभा में 206 सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि यह संविधान के एकदम विरुद्ध है.

राकेश सिंह ने कहा, मैंने राज्यपाल और राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर इसके खिलाफ ऐक्शन लेने के लिए कहा है. इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मंत्रिमंडल के गठन पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इतिहास में मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल ऐसा मंत्रिमंडल है , जिसमें कुल 33 मंत्रियों में से 14 वर्तमान में विधायक ही नहीं हैं. यह संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ बड़ा खिलवाड़ है. प्रदेश की जनता के साथ मज़ाक हैं.



क्या कहता है नियम

नियम के मुताबिक किसी भी सरकार में मंत्रियों की संख्या सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या का 15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है. मध्य प्रदेश में विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 206 है जिसका 15 फीसदी 30.9 आता है. यानी इस हिसाब से 31 से ज्यादा मंत्री नहीं हो सकते हैं.

सबको खुश करना थी मजबूरी

दरअसल इस बीजेपी आलकमान के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को भी खुश करने की मजबूरी थी. हालांकि इस चक्कर में शिवराज के चाहते नेताओं को भी ज्यादा कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई है. ज्योतिरादित्य खेमे से 10 लोगों को मंत्री बनाया गया है.

उमा भारती ने जताई नाराजगी

वहीं इस समय राजनीति से दूर चल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी कैबिनेट गठन पर नाखुशी जाहिर की है. उन्होंने मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीडी शर्मा और विनय सहस्त्रबुद्धे को पत्र लिखा है. उमा भारती ने मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन को लेकर भी सवाल उठाए हैं. 

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