गांधी जी की मानहानि: अदालत ने खारिज किया मनोज सिन्हा के खिलाफ़ इस्तगासा

गांधी जी के परिजन या निकट संबधी नहीं हैं डॉ राकेश पाठक इसलिए अधिकारिता नहीं।

Update: 2024-01-29 09:03 GMT

ग्वालियर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डिग्री के बारे में मिथ्यावाचन करने वाले जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के विरुद्ध प्रस्तुत इस्तगासा विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। न्यायालय ने पत्रकार और गांधीवादी कार्यकर्ता डॉ राकेश पाठक को परिवाद प्रस्तुत करने की अधिकारिता के योग्य नहीं माना है।

सांसद, विधायक विशेष न्यायालय

,ग्वालियर के न्यायाधीश श्री महेंद्र सैनी ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता डॉ. राकेश पाठक ने परिवाद में यह नहीं कहा है कि वे महात्मा गांधी के परिवार के सदस्य या करीबी रिश्तेदार हैं। फैसले में बताया गया कि भारतीय दण्ड विधान की धारा 499 के अनुसार

" किसी मृत व्यक्ति को कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा यदि वह लांछन उस व्यक्ति के ख्याति की,यदि वह जीवित होता अपहानि करता, और उसके परिवार या निकट संबंधियों की भावनाओं को उपहत करने के लिए आशयित हो।"

न्यायालय ने इस फैसले में न्याय दृष्टांत (बतौर नज़ीर) के रूप में पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के राजकुमार सैनी विरुद्ध संत कंवर प्रकरण (2020 SCC Online P and H 2165) का उल्लेख किया है। इस फैसले में यह प्रतिपादित किया गया था कि किसी मृत व्यक्ति की मानहानि के मामले में मृतक के परिवार के सदस्य या निकट संबंधी ही मुकदमा दर्ज़ करवा सकते हैं।

न्यायालय के अनुसार उक्त विधान के प्रकाश में परिवादी डॉ राकेश पाठक का महात्मा गांधी के परिवार का सदस्य होना या निकट संबंधी होना प्रमाणित नहीं है अतः उन्हें परिवाद प्रस्तुत करने की अधिकारिता प्राप्त नहीं है। इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 203 के तहत इसे खारिज किया जाता है।

स्मरण रहे कि गत 23 मार्च,2023 को ग्वालियर के आईटीएम विश्वविद्यालय में डॉ राम मनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान में मनोज सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा था कि 'शायद कम लोगों को मालूम है..देश में अनेक पढ़े लिखे लोगों को यह भ्रांति है कि गांधी जी के पास लॉ डिग्री थी, गांधी जी के पास कोई डिग्री नहीं थी।'

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में इस मिथ्यावचन से उनकी मानहानि हुई थी। इस भाषण से आहत होकर डॉ राकेश पाठक ने मनोज सिन्हा को पहले कानूनी नोटिस भेजा और उत्तर न मिलने पर सक्षम न्यायालय में निजी परिवाद (इस्तगासा) दायर किया था। डॉ पाठक ने मनोज सिन्हा के कृत्य को भारतीय दण्ड विधान की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध मानकर आरोपी को दंडित करने की अपील की थी।

डॉ पाठक ने 'सांसद, विधायक विशेष न्यायालय' के समक्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्राथमिक शिक्षा से लेकर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इनर टेंपिल से बैरिस्टर के रूप में पढ़ाई तक के साक्ष्य प्रस्तुत किए। इसके लिए जे. एम. उपाध्याय द्वारा संपादित पुस्तक 'Mahatma Gandhi as a Student' न्यायालय को सौंपी। इस प्रमाणिक पुस्तक की भूमिका तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन ने लिखी थी।

गांधी जी द्वारा लंदन, भारत और दक्षिण अफ्रीका के बार में पंजीकृत बैरिस्टर के रूप में विधि व्यवसाय करने की भी जानकारी दी गई।

डॉ राकेश पाठक द्वारा दायर इस्तगासा पर सांसद विधायक विशेष न्यायालय, ग्वालियर के न्यायाधीश श्री महेंद्र सैनी ने याचिकाकर्ता और गवाहों के बयान पूरे होने के बाद आयोजक संस्था आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलसचिव के लिए नोटिस जारी किया था।

अदालत ने जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के भाषण की रिकॉर्डिंग भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी के तहत प्रमाणीकरण के साथ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय की ओर से गत 7अक्टूबर,2023 को अदालत में रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की गई।

डॉ पाठक के परिवाद के पक्ष में पूर्व विधायक डॉ सुनीलम और आकाशवाणी की सेवानिवृत अधिकारी शारदा पांडे को गवाह के रूप में गवाही भी दी थी।

इस मामले में डॉ. पाठक ऊपरी अदालत में अपील दायर करने पर विचार कर रहे हैं।

इस मामले में डॉ.पाठक की ओर से अधिवक्तागण भूपेंद्र सिंह चौहान, पंकज सक्सेना और शुभेंदु सिंह चौहान पैरवी कर रहे थे।

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