गलत जांच करने पर CBI चीफ पर लगा 15 लाख का जुर्माना

एमबीए छात्र की मौत के मामले में गलत जांच करने की वजह से इंसाफ मिलने में हुई देरी पर सीबीआई निदेशक पर 15 लाख का जुर्माना लगाया।

Update: 2018-03-11 05:30 GMT
मुंबई : महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने एक एमबीए छात्र की मौत के मामले में गलत जांच करने की वजह से इंसाफ मिलने में हुई देरी पर सीबीआई निदेशक पर 15 लाख का जुर्माना लगाया।

आयोग ने कहा कि मृतक छात्र के पिता पिछले 7 साल से न्याय की आस में भटक रहे हैं लेकिन मैजिस्ट्रेट कोर्ट को पता चला है कि सीबीआई ने गलत दिशा में जांच की, जिससे उनके काम करने के तरीके पर भी संदेह उठता है। मेडिकल जांच में मौत के समय और अन्य गड़बड़ियों दो देखते हुए कोर्ट ने कहा, 'ऐसा लगता है कि जांच ढंग से नहीं की गई है और आरोपी को बचाने की कोशिश की गई है।

बता दें कि मृतक संतोष अपने तीन दोस्तों विकास, जितेंद्र और धीरद के साथ चौथी मंजिल पर रहता था। 15 जुलाई 2011 को वह पहली मंजिल की बालकनी में मृत अवस्था में पाया गया। खारगढ़ पुलिस ने जितेंद्र के बयानों के मुताबिक, दुर्घटनावश हुई मौत का केस दर्ज किया था। जितेंद्र ने बताया कि संतोष शराब के नशे में था और उसने टॉइलट की खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली। 

इसके अलावा स्थानीय पुलिस की जांच से असंतुष्ट होने पर संतोष के पिता विजय ने 2012 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। कोर्ट ने मामले में सीआईडी जांच के आदेश दिए लेकिन विजय जांच की गति देखकर संतुष्ट नहीं दिखे।

उनकी मांग पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। सीबीआई की रिपोर्ट को 2017 में मैजिस्ट्रेट जे. एम. चव्हाण ने अस्वीकृत कर दिया। कोर्ट ने कहा, 'शराब के नशे में होते हुए किसी के लिए भी फ्लश टैंक पर चढ़कर खिड़की खोलना असंभव है।' मेडिकल जांच में मौत के समय और अन्य गड़बड़ियों दो देखते हुए कोर्ट ने कहा, 'ऐसा लगता है कि जांच ढंग से नहीं की गई है और आरोपी को बचाने की कोशिश की गई है।' 

गौरतलब है कि बिहार के पटना के रहने वाले संतोष के पिता विजय सिंह ने आयोग के पास शिकायत दर्ज करवाई थी। बताया गया कि संतोष की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में 15 जुलाई, 2011 को हुई थी। आयोग का कहना है कि यह मौलिक अधिकारों के हनन का मामला है, इसलिए 6 हफ्ते के अंदर जुर्माने की रकम दी जाए और अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। आयोग के सदस्य एम. ए. सईद ने आदेश में सीबीआई को कहा कि वह अपने अधिकारियों को ऐसे मामले की जांच में संवेदनशील रहने को कहें और नियम-कानून के मुताबिक ही जांच करें।

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