नई दिल्ली : संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न सांसदों ने संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में PM मोदी के अलावा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला, राज्यसभा के उपसभापति पी जे कुरियन एवं अन्य नेतागण शामिल हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संसद पर हुए हमले में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश को उनकी शहादत पर गर्व है। आज ही के दिन 13 दिसंबर, 2001 को आतंकियों ने संसद को निशाना बनाया था। इस घटना को याद कर सिहरन सी दौड़ जाती है। इस आतंकी घटना को भूल पाना बेहद ही मुश्किल है।
13 दिसंबर, 2001 को रोज की तरह संसद की कार्यवाही चल रही थी। दोनों सदन गोलीबारी से करीब 40 मिनट पहले ही स्थगित हुए थे। इसी बची सुबह करीब 11.25 पर एके-47 बंदूकों और हैंड ग्रेनेड से लैस पांच आतंकियों ने हमला बोल दिया जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला कर दिया था। इस हमले में आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और संसद के एक कर्मचारी की भी मौत हो गई थी। आतंकी हमले के दौरान कई केंद्रीय मंत्री और सांसद समेत करीब 200 लोग संसद में मौजूद थे।
संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। अदालत ने 20 अक्टूबर, 2006 को अफजल को फांसी देने का आदेश दिया था। लेकिन 3 अक्टूबर, 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी। 3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने अफजल की दया याचिका खारिज की और 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।