नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस टीएस ठाकुर गुरुवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली। इसके साथ ही वो देश के 43वें चीफ जस्टिस बन गए। नए चीफ जस्टिस को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई।
63 वर्षीय न्यायमूर्ति ठाकुर ने राष्ट्रपति भवन के शानदार दरबार हॉल में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में ईश्वर के नाम पर शपथ ग्रहण की। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट में उनके सहयोगियों और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों समेत कई गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश 63 वर्षीय न्यायमूर्ति ठाकुर को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। न्यायमूर्ति दत्तू कल सेवानिवृत्त हुए थे।
Shri Justice Tirath Singh Thakur was sworn in as the 43rd Chief Justice of India by #PresidentMukherjee today pic.twitter.com/shnSV6yGvy
— President of India (@RashtrapatiBhvn) December 3, 2015
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने उस पीठ की अध्यक्षता की जिसने इंडियन प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग घोटालों के आरोपों के मद्देनजर बीसीसीआई में सुधार संबंधी फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति ठाकुर ने उस पीठ की भी अध्यक्षता की जिसने पूर्वी भारत में हुए करोड़ों रूपए के चिंट फंड घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। इस घोटाले को सारदा घोटाले के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने करोड़ों रुपये के एनआरएचएम घोटाले की भी सुनवाई की जिसमें कई नेताओं और नौकरशाहों के साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी हैं।
जस्टिस ठाकुर की पहली नियुक्ति जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में 16 फरवरी 1994 को अतिरिक्त न्यायधीश के रूप में हुई थी। इससे पहले जस्टिस टीएस ठाकुर लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में ही प्रैक्टिस करते रहे थे। उन्हें सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, टैक्स मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। मार्च 1994 में जस्टिस ठाकुर को स्थानांतरित कर कर्नाटक उच्च न्यायालय में न्यायधीश नियुक्त किया गया। जुलाई 2004 में जस्टिस ठाकुर की नियुक्ति दिल्ली उच्च न्यायालय में की गई, जहां वे अप्रैल 2008 तक कार्यकारी मुख्य न्यायधीश के पद पर रहे।