देश मनतंत्र से नहीं चलता, संसद ठप करके गरीबों का हक मारा जा रहा: PM मोदी

Update: 2015-12-10 07:35 GMT



नई दिल्ली : पीएम मोदी ने संसद के मौजूदा सेशन में चल रहे हंगामे पर किसी का नाम लिए बिना कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि यह दुख की बात है कि संसद नहीं चल रही है।

जागरण फोरम में 'समावेशी जनतंत्र' विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्रा ने कहा, 'यह बड़े दुख का विषय है कि संसद नहीं चलने दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सिर्फ जीएसटी बिल नहीं अटकी है, गरीबों की भलाई वाले कई कानून लटके हैं और उनका हक मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र मनतंत्र या मनी तंत्र के भाव से नहीं चलता है।'

पीएम ने यह भी कहा कि ईमानदारी से कोशिश की जाए तो बदलाव मुमकिन है। देश के विकास के लिए भागीदारी बहुत जरूरी है। हर छोटे काम के लिए सरकार पर निर्भरता ठीक नहीं। हम भारत की विकास यात्रा को एक जन आंदोलन बनाएं। उन्‍होंने कहा कि जन सामर्थ्य को स्वीकार करें, तभी वह सच्चे अर्थ में लोकतंत्र में परिणत होता है।

पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र की पहली आवश्यकता निरंतरता है। जाने अनजाने हमारे देश में लोकतंत्र का सीमित अर्थ रहा, चुनाव और मतदाताओं की पसंद। ऐसा लगने लगा कि चुनाव आया है तो पांच साल के लिए किसी को कांट्रेक्ट देना है, फिर पांच साल बाद दूसरे को ले आइए। लोकतंत्र अगर मतदान तक सीमित हो जाता है, सरकार तक सीमित हो जाता है, ताे वह पंगु हो जाता है। जनभागिदारी बढ़ने से लोकतंत्र मजबूत होता है। अत: अलग अलग तरीके से इसे बढ़ायें।

पीएम मोदी ने कहा, इस देश में आजादी के लिए मरने वालों की कोई कमी नहीं रही। देश जबसे गुलाम रहा कोई समय ऐसा नहीं रहा होगा जब देश के लिए मर मिटने वालों ने अपना नाम इतिहास में अंकित नहीं किया हो। उनमें जज्बा होता था, फिर कोई नया आता था।आजादी के आंदोलन के लिए मरने वालों का तांता निरंतर था। गांधी ने इस आजादी की ललक को जन आंदोलन में परिणत कर दिया। उन्होंने सामान्य आदमी को आजादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया। एकाध वीर सिपाही से लड़ना अंग्रेजों के लिए आसान था। गांधी जी ने इसे सरल बना दिया। सूत कातने को भी आंदोलन बना दिया। शिक्षा देने से भी आजादी आ जायेगी, झाड़ू लगाओ आजादी आ जायेगी।

कई पुराने कानूनों को बदलने या खत्म करने के अपनी सरकार की पहल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, 'अंग्रेजों के जमाने में जो कानून बना वे जनता पर अविश्वास होने के आधार पर बनाए गए, लेकिन आज इस तरह के कानून को बदलने की जरूरत है। जनता पर भरोसा करके कानून बनाने की जरूरत है।

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